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छहलाला
प्रश्न १–अगृहीत मिथ्यात्व किसे कहते हैं ? उत्तर–प्रयोजनभूत सात तत्त्वों में विपरीत श्रद्धा अगृहीत मिथ्यात्व है । प्रश्न २–जीव का लक्षण क्या है ? उत्तर—“चेतन को है उपयोग रूप ।" प्रश्न ३–उपयोग किसे कहते हैं ?
उत्तर–जीव का ज्ञान-दर्शन या जानने-देखने की शक्ति को उपयोग कहते हैं।
प्रश्न ४–जीन का स्वरूप बताइए ?. . .. .. .. .
उत्तर--"बिन मूरत, चिन्मूरत अनुप' है । यह जीव अमूर्तिक, चैतन्य मूर्ति और अनुपम है और पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल से भिन्न निराली प्रवृत्ति वाला है ।
प्रश्न ५- जीव तत्त्व का विपरीत श्रद्धान बताइए या जीव तत्त्व की
भूल ?
उत्तर—“करि करे देह में निज पिछान" शरीर में अपनी पहचान
करना ।
प्रश्न ६-आत्मा का स्वरूप बताइए?
उत्तर-जानने, देखने अथवा ज्ञान, दर्शन, शक्ति वाली वस्तु को आत्मा कहते हैं । आत्मा अमर है ।
प्रश्न ७–अमूर्तिक किसे कहते हैं ? उत्तर-रूप, रस, गन्ध और स्पर्श रहित वस्तु अमूर्तिक कहलाती है । प्रश्न ८–प्रयोजनभूत तत्त्व किसे कहते हैं ?
उत्तर-प्रयोजनभूत तत्त्व ७ हैं--(१) जीव, (२) अजीव, (३) आस्त्रव, (४) बन्ध, (५) संवर, (६) निर्जरा एवं (७) मोक्ष ।
प्रश्न ९–मिथ्यात्व और मिथ्यादर्शन में क्या भेद है ? उत्तर–दोनों में कोई भेद नहीं, दोनों पर्यायवाची शब्द हैं। प्रश्न १०-आत्मा और जोर में क्या अन्तर है ?
उत्तर-आत्मा और जोव में कोई भेद नहीं है । यह एक हो अर्थ के द्योतक दो शब हैं।