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छहढ़ाला
प्रश्न १–यह जीव माता के पेट में कितने दिन और कैसे रहा ? उत्तर- यह जीव माता के पेट में नौ माह तक शरीर को सिकोड़ कर रहा ।
बालपने में ज्ञान न लहाो, तरुण समय तरुणी रत रह्यो । अर्धमृतक सम बूढ़ापनो, कैसे रूप लख्खे आपनो ।।१५।।
शब्दार्थ.....बालपने में = लड़कपन में | तरुण = जवान । तरुणी = स्त्री । रत = लीन । अर्धमृतक सम = आधे मरे के समान । बूढ़ापनो = बुढ़ापा । कैसे = किस प्रकार | रूप आफ्नो = आत्मस्वरूप । लख्खे = देख सकता है। ____ अर्थ-लड़कपन में इसने ज्ञान नहीं पाया । जवानी में स्त्री में आसक्त रहा । बुढ़ापा अर्ध मरे के समान है । फिर यह जीव अपने शरीर को कैसे पहचान सकता है।
प्रश्न १–मनुष्य जीवन की तीन अवस्थाएँ कौन-सी हैं ? उत्तर--(१) बचपन (२) यौवन, (३) बुढ़ापा । प्रश्न २--ज्ञान कब प्राप्त करना चाहिए ? उत्तर—बालपन में ज्ञान प्राप्त करना चाहिए । प्रश्न ३–मानव ने तीनों अवस्थाएँ कैसे खो दी ?
उत्तर—मानव ने बचपन को खेल में, जवानी में स्त्री के साथ और बुढ़ापा आधे मरे के समान खो दिया।
अकामनिर्जरा का फल एवं देवगति के दुःख कभी अकाम-निर्जरा करै, भवनत्रिक में सुरतन धरै । विषय चाह दावानल दहो, मरत विलाप करत दुःख सलो ।।१६।।
शब्दार्थ-अकाम = बिना इच्छा । निर्जरा = कर्मों का एक देश क्षय होना । भवनत्रिक = भवनवासी, व्यन्तर और ज्योतिषी ये तीन प्रकार के देव । सुरतन = देव पर्याय । सह्यो = सहन । विलाप = झुरना ।
अर्थ-कभी इस जीव ने अकाम निर्जरा की तो भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिषी तीन प्रकार के देवों में पैदा हुआ परन्तु वहाँ भी विषयों की