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________________ विषय तीन प्रकार की धर्म जागरणा एकत्व अन्यत्व भावना अनित्य [- भावना अशरण भावना मैत्री भावना संवर भावना संयम में पराक्रम- ६ प्रज्ञावानों का पराक्रम पण्डित का पराक्रम समत्वदर्शी का पराक्रम मुक्तात्मा का स्वरूप वीर पुरुष का पराक्रम भिक्षु का पराक्रम आत्मगुप्त भिक्षु का पराक्रम मेधावी मुनि का पराक्रम महर्षि का पराक्रम परिग्रह के परित्याग में अप्रमत का पराक्रम कर्म भेदन में पराक्रम सूखाक पृष्ठाक ७९० ३९४ ७९१ ३९४ ७९२ ३९५ ७९३ ३९५ ७९४ ३९६ ७९५ ३९६ ७९६ ३९६ २७९७ ३९७ ७९८ ३९७ ७९९ 194 200 ३९७ ८०१ ३९९ ८०२ ३९९ ८०३ ४०० COY ४०२ ८०५ ४०२ ८०६ ४०२ कषायों को कुश करने का पराक्रम बंधन से मुक्त होने का पराक्रम लोकज्ञ ही आत्मज (८८) आत्मवादी का सम्यक् पराक्रम ज्ञानादि से युक्त भुनि का पराक्रम समाधि के इच्छुक श्रमण का पराक्रम संयम में पराक्रम करने वाले की मुक्ति धर्म मे पराक्रम के लिए एलक का दृष्टांत धर्म में पराक्रम के लिए काकिणी और आम्र का दृष्टात धर्म में पराक्रम के लिए वणिक का दृष्टात धर्म में पराक्रम के लिए दिव्य मानुषिक भागको तुलगा धर्म में पराक्रम के लिए उपदेश धर्म में पराक्रम का समय वीतराग भाव-७ वीतराग भाव की प्ररूपणा कर्म निर्जरा का फल भीतरागता का फल उपसंहार | • ८०७ ४०३ ८०८ ४०३ ८०९ ४०४ ८१० ४०४ ८११ ४०४ ८१२ ४०४ ८१३ ४०५ ८१४ ४०६ ८१५ ८१६ ८१७ ८१८ ८१९ ८२० ૮૨ ८२२ ८२३ ४०७ ४०७ ४०८ ४०८ ४०८ ४०९ ४११ ४९१ ४११
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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