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________________ विषय सूनाक पृष्ठांक ७४९ ७५० ७५१ ३७४ ३७४ ३७५ ७१४ ३७६ ३५३ ३५४ ३५४ ३५४ ७५३ ३७६ ३७७ ७१७ ७५५ ३७७ ७१८३५५ ७१९ ३७७ ३७७ ७५७ ७५८ ३७७ ७५९ ७६० ७२१ ७२२ ७२३ ३५७ ३५७ ३५८ ३७७ ३७८ ३७८ ३७८ ३७८ ३७९ ७६२ ७६३ ७६४ ७२५ ७६५ ७६६ ३८० ७६७ ३८० ३८० ७६८ ७२७ ७६९ धर्मध्यान की अनुप्रेक्षाएं शुक्ल ध्यान के भेद शुक्लध्यान के लक्षण शुक्लध्यान के अवलम्बन शुक्लध्यान की अनुप्रेक्षाये कायोत्सर्ग-५ व्युत्सर्ग का स्वरूप व्युत्सर्ग के भेद प्रभेद कायोत्सर्ग का फल तपसमाधि एवं फल-६ तपाचरण का उद्देश्य तपआचरण का फल तपादि के चोरों की दुर्गति तपस्वियों और नरषिकों के कर्म निर्जरा की तुलना तप से प्राप्त चारणलब्धि का वर्णन वीर्याचार वीर्य का स्वरूप-१ वीर्य का स्वरूप बालवीर्य आदि की विवक्षा वालवीर्य का स्वरूप अन्न ही उपदेश योग्य है सकर्मवीर्य का स्वरूप अकर्मवीर्य का स्वरूप पण्डित वीर्य का स्वरूप तितिक्षा से मोक्ष समाधि युक्त की सिद्धगति मान्तचित्त वालों की वीर्यहानि भीषह जप-२ परीषह सहने से कर्मों का क्षय परीषह के प्रकार परीषह प्ररूपणा (१) सुधा परीषह (२) पिपासा परीषह (३) शीत परीपह उष्ण परीषह देश मशक परीपह अचेल परीषह अचेलत्व का प्रशस्त परिणाम (७) अरसि-परीषह (2) स्त्री परीषह (९) चर्या परीषह ३६३ ३६३ (१०) निपीधिका परीषह (११) शय्या परीषह (१२) आक्रोश परीषह (१३) वध परीषह . (१४) याचना परीषह (१५) अलाभ परीषन (१६) रोग परीषह (१७) तृण स्पर्श परीषत (१८) जल परीषह (१९) सत्कार पुरस्कार परीषह (२०) प्रज्ञा परीषह (२१) अज्ञान-परीषह (२२) दर्शन-परीषह सभी परीषह जीतने का निर्देश परीषहीं से अपराजित मुनि परीषहों से पराजित मुनि परीषह सहन करने वाला भिक्षु परीषहजय का फल उपसर्ग-जप-३ अनेक प्रकार के उपसर्ग देवकृत उपसर्ग मानवकृत उपसर्ग तिर्यचकृत उपसर्ग अविधेकोत उपसर्ग प्रतिकूल उपसर्ग मोह संग सम्बधी उपसर्ग उपसर्गों से अपीडित मुनि पूर्व पुरुषों के दृष्टात से सयम शिथिल मुनि परीषद सहने का निर्देश परीषह सहने का फल पचेन्द्रिप विरतिकरण-४ शब्द की आसक्ति का निषेध रूप की आसक्ति का निषेध गध की आसक्ति का निषेध रस की आसक्ति का निषेध स्पर्श की आसक्ति का निषेध वीर्य-शाक्ति-५ समत्व बुद्धि से आत्म-शक्ति का समुत्थान आत्म-वीर्य में चार अग दुर्लभ आत्म-बल से कर्म क्षय मुनित्व से कर्म क्षय अप्रमस भावना से करणीय कृत्य आज्ञानुसार आचरण करने का उपदेश प्रमाद परित्याग का उपदेश ३८० ७७० ३८१ ३८१ ७३० ३६४ ३८१ ७७२ ७७३ ३८१ ७३२ ७३३ ३६५ ३६६ فای ७७५ ३८३ ३८४ ३८५ ३८५ ७३५ ३६७ ७७७ ७३६ ३६८ ७७८ ७७९ ७८० ७८१ ७८२ ३८५ ३८६ ३८८ ३८९ ३९० 6838 ७४० ७४१ ७४२ ७४३ ७४४ ७४५ ७४६ ३६९ ३६९ ३६९ ३७० ३७० ३७० ३७१ ३७१ ३७२ ३७४ ७८४ ५८५ ३९२ ३९२ ३९२ ३९२ ७८७ ७८८ ७८९ १९३ ३९३ ७४८ ३९४
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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