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________________ विषय ५७२ २७८ ६१८ ५८३ ६२१ ५८५ २८२ ६२३ २९७ २९७ ६२४ प्रलिसलीनता के भेद इन्द्रिय प्रतिसलीनता के भेद कषाय प्रतिसलीनता के भेद योग प्रति संलीनता के भेद एकान्त शयनासन के सेवन का स्वरूप विविक्त शयनासन के सेवन का फल अनेक प्रकार के अप्रतिसलीन प्रतिमाये-८(१) अनेक प्रकार की प्रतिभायें भिक्षु प्रतिमाये-८.(२) भिक्षु प्रतिमाये प्रतिमा आराधन काल में उपसर्ग मासिकी भिक्षु प्रतिमा प्रतिमाघारी के भिक्षा काल प्रतिमाधारी की गोचर चर्या प्रतिमाधारी का वसतिवास काल प्रतिमाधारी की कल्पनीय भाषायें प्रतिमाधारी के कल्पनीय उपाश्रय प्रतिमाहारी के कल्पनीय संस्तारक प्रतिमाघारी को स्त्री-पुरुष का उपसर्ग प्रतिमाघारी को अग्नि का उपसर्ग प्रतिमाधारी को ढूंठा आदि निकालने का निषेध प्रतिमाघारी को प्राणी आदि निकालने का निषेध सूर्यास्त होने पर बिहार का निषेध सचिस पृथ्वी के निकट निद्रा लेने का निषेध मलावरोध का निषेध सचित्त रजयुक्त शरीर से गोचरी जाने का निषेध हस्तादि होने का निषेध दुष्ट अश्वादि का उपद्रव होने पर भयभीत होने का निषेध सर्दी और गर्मी सहन करने का विधान भिक्षु प्रतिमाओं का सम्यग् आराधन द्वि मासिकी भिसु प्रतिमा त्रैमासिकी भिक्षु प्रतिमा चातुर्मासिकी भिक्षु प्रतिमा पचमासिकी भिसु प्रतिमा षण्मासिकी भिक्षु प्रतिमा सप्तमासिकी भिस् प्रतिमा प्रथम सप्त अहोरात्रिकी भिक्षु प्रतिमा सूक पृष्ठांक द्वितीय सप्त अहोरात्रिकी भिक्षु प्रतिमा ६०६ २८६ तृतीय सप्त अहोरात्रिकी भिक्षु प्रतिमा ६०७ २८६ ५७० २७५ अहोरात्रिकी भिक्षु प्रतिमा ६०८ २८७ ५७१ २७६ एक रात्रिकी भिक्षु प्रतिमा ६०९ २८७ २७६ प्रतिमा ग्रहण करने से मुक्ति ६१० ૨૮૮ ५७३ २७७ एषणा प्रतिमाएँ-८ (३) ५७४ २७८ आहार लेने की सात प्रतिमाएँ ६११. २८८ ५७५ २५८ पानी लेने की सात प्रतिमाये २९० प्रतिमा धारण करने वाले का वचन विवेक २९१ सस्तारक लेने की चार प्रतिमाये २९२ ५७७ २७९ वस्त्र लेने की चार प्रतिमाएँ पात्र लेने की चार प्रतिमाएँ २९४ ५७८ स? रहकर कायोत्सर्ग करने की चार २८० प्रतिमाएँ ६१७ २९५ ५८० २८१ अवग्रह लेने की सात प्रतिमाएँ २९५ ५८१ २८१ दत्ति-परिमाऐ-40 ५८२ सप्तसप्तमिका भिक्षु प्रतिमा २९६ २८२ अष्ट-अष्टमिका भिक्षु प्रतिमा ६२० २९७ नव-नवमिका भिक्षु प्रतिमा २९७ दश-दशमिका भिक्षु प्रतिमा ५८६ २८ दो प्रकार की चन्द्र प्रतिमाये ५८७ मबमध्य चन्द्र प्रतिमा ५८८ वज मध्य चन्द्र प्रतिमा ६२५ ३०१ दत्ति प्रमाण निरूपण ३०५ ५८९ मोक प्रतिमा-विधान प्रतिमा सग्रह-८ (५० ५९० प्रतिमाओं का संग्रह ३०७ विनय वैयावृत्य की प्रतिमाएँ ६२९ ३०८ ५९२ २८३ १० प्रायश्चित्त (क) (आभ्यन्तर तप) (१) आभ्यंतर तप का प्ररूपण ६३० आभ्यंतर तप के भेद ६३१ ३०९ ५९४ प्रायश्चित्त योग्य चारित्र ५९५ २८४ प्रायश्चित्त योग्य प्रतिसेवना के प्रकार ६३३ २०१ प्रायचित्त का स्वरूप ६३४ ३१० ५९६ २८४ प्रायश्चित्त के प्रकार ६३५ ३१० ५९७ २८५ आरोपणा-१(क) ५९८ २८५ आरोपणा के पाँच प्रकार ५९९ २८५ आरोपणा के अट्ठाइस प्रकार २८५ दो मास प्रायश्चित्त की स्थापिता आरोपणा ६३८ ६०१ २८५ दो मास प्रायश्चित्त की प्रस्थापिता आरोपणा वृद्धि ६३९ ।। ६०२ २८५ एक मास प्रायश्चित की स्थापिता आरोपणा ६४० ६०३ २८५ एक मास प्रायश्चित की प्रस्थापिता आरोपणा वृद्धि ६४१ ३१५ ६०४ २८६ मालिक और दो मासिक प्रायश्चित्त की ६०५ २८६ प्रस्थापिता आरोपणा वृद्धि (८५) ३०५ ६३२ ३०९ ६३६ ३ ६०० ३१४
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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