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________________ विषय ४७७२२९ ४७८ ४७९ ४८० २२९ २३० २३० ९. ४८१ २३० २३१ ४८२ ४८३ ४८४ ४८५ २३२ २३३ ४८६ ४८७ २३३ २३३ ४८८ २३४ ४८९ २३४ ग्लान प्रवर्तनी के द्वारा पद देने का निर्देश संयम परित्याग करने वाली प्रवर्तिनी बारा पद देने का निर्देश निर्ग्रन्थी के लिए आचार्य उपाध्याय पद योग्य निर्ग्रन्थ आचार प्रकल्प विस्मृत निन्धी को पद देने का विधि-निषेध आचार्यादि के नेतृत्व के बिना निर्ग्रन्थी के रहने का निषेध अग्रणी साध्वी के काल करने पर साध्वी का कर्तव्य विनय-व्यवहार-५ प्रव्रज्या पर्याय के अनुक्रम से वन्दना का विधान शैक्ष और रत्नाधिक का व्यवहार रत्नाधिक को अग्रणी मानकर विचरने का विधान अध्यापन व्यवस्था-६ श्रमण का अध्ययन क्रम आचार प्रकल्प के अध्ययन योग्य वय का विधि-निषेध विचरण-व्यवस्था-७ आचार्यादि के साथ रहने वाले निर्ग्रन्थों की संख्या प्रवर्तिनी आदि के साथ विचरने वाली निन्थियों की संख्या अकेली निन्थी को जाने का निषेध निर्गन्ध-निर्ग्रन्थियों के विचरण क्षेत्र की मर्यादा निर्ग्रन्ध-निन्थियों के विहार करने का विधि-निषेध विकट क्षेत्र में जाने का विधि-निषेध रात्रि में उपाश्रय से बाहर जाने का विधि-निषेध अन्तःपुर में प्रवेश के कारण निर्ग्रन्य-निन्धी के सामूहिक व्यवहार-८ साधु-साध्वी के वार्तालाप करने के कारण साधु-साध्वी के एक स्थान पर ठहरने के कारण अचेलक के सचेलिका के साथ रहने के कारण निर्ग्रन्थीको अवलम्बन देने के कारण सूलांक पृष्ठाक निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थी के सामूहिक साधर्मिक ४५३ अन्य कर्म २१८ निर्ग्रन्थ-निर्गन्थी के परस्पर सेवा करने के विधान ४५४२१८ परस्पर सेवा करने का विधि-निषेध परस्पर मालोचना करने के विधि-निषेध परस्पर प्रस्रवण ग्रहण करने का ४५६ २१९ विधि-निषेध सामोगिक संबध व्यवस्था-९ ४५७ श्रमणों के पारस्परिक व्यवहार २२० सम्बन्ध विच्छेद करने के कारण ४५८ २२० सम्बन्ध विच्छेद करने का विधि-निषेध समनोज-असमनोजों के व्यवहार सदृश आचारवान को स्थान न देने के ४५९ २२१ प्रायश्चित्त सूत्र गाभोग प्रामाभ्यानका फल गृहस्व के साथ व्यवहार-१० ४६१ २२१ सर्पदंश चिकित्सा के विधि-निषेध गृहस्थ आदि के साथ भिक्षार्थ जाने का ४६२ २२३ निषेध गृहस्थ आदि के साथ भिक्षार्ध जाने का प्रायश्चित्त सूत्र गृहस्थ आदि को अशनादि देने का निषेध माग-माँग कर याचना करने के ४६४.२२४ प्रायश्चित्त सूत्र गृहस्थ से उपधि बहन कराने के ४६५ २२५ प्रायश्चित्त सूत्र ४६६ २२५ गृहस्थ को आहार देने का प्रयश्चित्त सूत्र गृहस्यों के साथ आहार करने के प्रायश्चित्त सूत्र गणापक्रमय-११ ४६८ २२६ भिक्षु द्वारा गण-परित्याग आचार्य-उपाध्याय द्वारा गण परित्याग श्रुत ग्रहण के लिए अन्य गण में जाने का ४७० २२६ विधि-निषेध साभोगिक व्यवहार के लिए अन्य गण मे जाने का विधि-निषेध ४७३ २२७ साभोगिक व्यवहार के लिए गणसंक्रमण का प्रयश्चित सूत्र २२७ आचार्य आदि को वाचना देने के लिए अन्य गण में जाने का विधि-निषेध ४७५ २२८ अन्य गण से आये हुओं को गण में २२९ सम्मिलित करने के विधि-निषेध ४९०२३४ ४९१ २३४ ४९२ २३५ ४९३ २३६ ४९५ २३६ २३७ २३७ ४९७ ४९८ २३८ ४९९ २३९ ५०० २४१ ५०१ २४१ (८३)
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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