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________________ २१३ २१४ २१५ १८९ २१७ २१८ २१९ २२० १९५ विषय सूत्राक पृष्ठाक सूक्ष्माष्टक की प्रतिलेखना का विधान आचार्य की आजानुसार भक्त-पान ग्रहण करना अकाल में पर्युषण करने का तथा काल में पर्युषण न करने के प्रायश्चित्त सूत्र और देना १८६ सांवत्सरिक स्थविर कल्प की आराधना का फल ग्लान को पूछकर के ही आहार पानी लाने का विधान (४) प्रतिक्रमण १८७ विकृति ग्रहण निषेध १८८ आवश्यक स्वरूप-१ आचार्य से पूछकर ही विकृति ग्रहण करने चार प्रकार के आवश्यक का विधान छह प्रकार के आवश्यक ग्लान के लिए विकृति ग्रहण करने का विधान १९० प्रतिक्रमण के प्रकार-२ वर्षा बरसने पर पूर्व गृहीत भक-पान के पांच प्रकार के प्रतिक्रमण उपयोग की विधि छह प्रकार के प्रतिक्रमण १९१ वर्षा बरसने पर एक स्थान में निर्ग्रन्थ अतिक्रमादि के प्रकार निर्गन्थियों के ठहरने की विधि अतिक्रमादि की विशुद्धि गीला शरीर हो तब तक आहार करने का निषेध श्रमण प्रतिक्रमण-३ कायोत्सर्ग करने की प्रतिज्ञा वर्षावास-तप-सलेसना समाचारी-४ सामायिक सूत्र आचार्यदि से पूछकर तप करने का विधान १९४ उपवास करने वाले के पानी ग्रहण करने का गुरु वंदन सूत्र गुरु वंदन के बारह आवर्तन विधान समुच्चय अतिचारों का प्रतिक्रमण सूत्र दो उपवास करने वाले के पानी ग्रहण करने का ऐर्यापधिक प्रतिक्रमण सूत्र विधान शाय्या दोष निवृत्ति सूत्र तीन उपवास करने वाले के पानी ग्रहण करने का गोचर चर्या दोष निवृत्ति सूत्र विधान १९७ स्वाध्याय तथा प्रतिलेखन सूत्र चार आदि उपवास करने वाले के गरम तेतीस प्रकार के स्थानों का प्रतिक्रमणसूत्र पानी ग्रहण करने का विधान १२८ निर्ग्रन्थ धर्मानिचार शुद्धि सूत्र भक्त प्रत्याख्यान अनशन वाले के गरम मारणान्तिक संलेखना के अतिचार पानी ग्रहण करने का विधान १९९ दत्ति की संख्याओं का विधान अमापना सूत्र २०० पर्युषण में गाहार करने का प्रायश्चित्तसूत्र उपसंहार सूत्र २०१ आचार्यादि से पूछकर पादपोषगमन कायोत्सर्ग-विधि सूत्र बस पक्माण-४ करने का विधान २०२ नौकारसी प्रत्याख्यान सूत्र पर्यावास सम्बन्धी प्रकीर्णक-समाचारी-५ पौरुषी प्रत्याख्यान सूत्र तीन उपश्रयों के ग्रहण का विधान २०३ दो पौरुषी प्रत्याख्यान सूत्र भय्या एवं आसन ग्रहण करने का विधान २०४ एकाशन प्रत्याख्यान सूत्र वर्षांवास रहे हुए निन्य-निन्थियों को तीन एक स्थान प्रत्याख्यान सूत्र मात्रक ग्रहण करने कल्पते है; २०५ आयंबिल प्रत्याख्यान सूत्र वर्षावास में पात्र और वस्त्र ग्रहण करने का उपवास प्रत्याख्यान सूत्र प्रायश्चित सूत्र दिवसचरिम प्रत्याख्यान सूत्र वर्षावास में वस्त्र सुखाने के विधि-निषेध २०७ भवचरिम प्रत्याख्यान सूत्र उचार प्रस्रवण भूमि प्रतिलेखना २०८ अभिग्रह प्रत्याख्यान सूत्र आचार्यादि से पूछकर चिकित्सा कराने का विधान २०९ निर्धिकृतिक (नीवी) प्रत्याख्यान सूत्र पर्युषणा के बाद केश रखने का निषेध २१० सर्व प्रस्याख्यान पारण सूत्र पर्युषणा के बाद केश रखने का प्रायश्चिस सूत्र २११ पन्चक्माण के प्रकार-५ पर्युषणा में कलह की क्षमायाचना करने का विधान २१२ ७६ प्रत्याख्यान के प्रकार WWWWWWWWWWWWWW २३१ २३७ २३८ २३२ २४० २४१ لري २४३ २४ २४५ २४६ २४७ २४८ २४९९९
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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