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________________ सूत्र ७१०-७१४ धर्मभ्यान के लक्षण तपाचार [३५३ २. अवायविजये, (२) अपायविषय · राग-द्वेष, कषाय, मिथ्यात्व, अविरति आदि मानवों का चिन्तन करना। ३. विवागविमये, 6) विपाकविषय-शानावरणीव भादि कर्मों से उत्पन्न आत्मा की विभिन्न अवस्थाओं का चिन्तन करना। ४. संठाणविजये। (४) संस्थानविचय-कध्वं अधोसोक, द्वीप समुद्र आदि के -वि. स. २५, उ. ७, सु. २४२ विषय में चिन्तन करना। धम्मशाण लक्खणा धर्मध्यान के लक्षण७११. धम्मस्स जसाणस्स चत्तारि लक्षणा पन्नता, तं महा- ७११. धर्मध्यान के चार सक्षण कहे गये हैं। यथा१. आणाई (१) आज्ञारुषि-वीतराग की आज्ञा में रुचि होना, २. निसरगहई १२) निसर्ग कचि-किसी के उपदेश के बिना स्वभाव से ही जिनभाषित तत्वों पर श्रद्धा होना। ३. मुत्तराई, (३) सूत्र चि-आगमों के अध्ययन व श्रवण में रुचि होना। ४. ओगावरुई। (४) अवगाह रुचि-(उपदेश रुचि) धर्मोपदेश श्रवण में -वि. स. २५, उ. ७, सु. २४३ उत्पन्न रुचि होना । धम्माणस्स आलंबणा धर्मध्यान के आलम्बन७१२. धम्मस्स णं माणस्स चत्तारि आलंवगा पन्नता, तंगहा- ७१२. धर्मध्यान के चार अवलम्बन कहे गये हैं, यथा-- १. वायणा, (१) वाचना, २. पडिपुच्छणा', (२) पृच्छना, ३. परियट्टणा, (३) परिवर्तना, ४. धम्मकहा। -वि. स. २५, ३. ७, सु. २४४ (४) धर्म कथा । धम्मशाणस्स अणुप्पेहाओ धर्मध्यान की अनुप्रेक्षाएँ७१३. धम्मस्स गंशाणस घसारि अजुप्पेहाओ पन्नत्ताओ, तं जहा- ७१३. धर्मध्यान की चार अनुप्रेक्षाएँ कही गयी हैं । यया१. एगत्ताणुप्पेहा, (१) एकत्वानुप्रेक्षा आत्मा के एकत्व भाव का चिन्तन करना। २. अणियामुप्पेहा, (२) अनित्यानुप्रेक्षा-शरीर, जीवन आदि की अनित्यता का चिन्तन करना। ३. असरणाणुप्पेहा, (३) अशरणानुप्रेक्षा-आत्मा की अशरणदशा का चिन्तन करना। ४. संसाराणुप्पेहा । -वि. स. २५, उ. ७, सु. २४५ (४) संसारानुप्रेक्षा-संसार परिभ्रमण का चिन्तन करना। सुक्कज्माण भेया शुक्लध्यान के भेद७१४. सुरके शाणे चविहे उप्पडोयारे पन्नते, तं जहा- ७१४. शुक्लष्यान के चार प्रकार और चतुष्प्रत्यावतार बहे है, यथा१. पुहत्तवियक सवियारी, (१) पृथक्त्व-वितर्क-सविचारी--एक ट्रम्य विषयक अनेक पर्यायों का पृथक् पृथक् चिन्तन करना। १ उव. सु. ३० में चौथा लक्षण "उवएसुरुई है" २ उव. सु. ३०, दूसरा आलम्बन (पूच्छणा) है।
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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