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पुत्र ६४०-६४१
एक मास प्रायश्चित्त की प्रस्थापिता आरोपणा वृद्धि
तपाचार
[३१५
आरोवणा आदिमज्भावसणे स अट्ठ सहे सकारणं अहीण- जन, हेतु या कारण से मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन मरित्तं तेण परं विबड्दो मासो ।
करके आलोचना करें तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की आरोपणा का प्रायश्चित्त आता है। उसके बाद पुनः दोष सेवन
करले तो डेढ़ मास का प्रायश्चित्त आता है । तेमासियं परिहारहाणं पठविए अणगारे बंतरा मासि यं तीन रास प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि परिहारट्ठाणं पडिसेबित्ता आलोएज्जा-अहावरा पक्छिया प्रायश्चित्त बहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोआरोवणा आविमउमावसाणे समझें सहेज सकारणं अहीण- जन, हेतु या कारण से मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन महरितं तेण पर विवढो मासो।
करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष का आरोपणा का प्रायश्चित्त आता है। उसके बाद पुनः दोष सेवन
करले तो डेढ़ मास का प्रायश्चित्त आता है। दो मासिय परिहारहाणं पट्टबिए बणगारे बतरा मासियं दो मास प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि प्रायपरिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा- अहावरा पक्खिया श्चित्त बहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन, आरोषणा आदिमउमाबसाणे सअट्ठसहे सकारणं अहीण- हेतु या कारण से मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके सारित तेण पर दिगो शारो
आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की आरोपणा का प्रायश्चित्त भाता है। उसके बाद पुनः दोष सेवन करले तो
डेढ़ मास का प्रायश्चित्त आता है। मासिय परिहारठाणं पट्ठषिए अणगारे अंतरा मासिय मासिक प्रायश्चित वहन करने वाला अणयार यदि प्रामपरिहारट्ठाणे पडिसेविता आलोएज्जा- बहावरा पक्खिया श्विल वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन, आरोवणा मादिमानाबसाणे सअट्ठ सहेउं सकारणं महीण- हेतु या कारण से एक मास प्रायश्चित्त योग्य दोष का सेवन करके महरितं तेण परं विवड्दो मासो।
आलोचना करे तो उसे न कम' न अधिक एक पक्ष की भारोपणा -नि.उ.२०, सु. ३२-३७ का प्रायश्चित्त आता है। उसके बाद पुनः दोष सेवन करले तो
डेढ़ मास का प्रायश्चिस आता है। मासियस्स पवियर आरोवणा बुटि
एक मास प्रायश्चित्त की प्रस्थापिता आरोपणा वृद्धि६४१. दिवट मासियं परिहारट्ठाणं पद्वविए अणगारे अंतरा ६४१. डेढ़ मास प्रायश्चित्त वहन करने वाला' अणगार यदि
भासियं परिहारठाणं पडिसेवित्ता आलोएग्जा-- अहावरा प्रायश्चित्त बहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोपक्खिया आरोषणा आदिमजमावसाणे सअट्ठ सह सकारणं जन, हेतु या कारण से मासिक प्रायश्चित योग्य दोष सेवन अहोणमहरितं तेण परं दो मासा।
करके आलोचना करे तो उसे न कम में अधिक एक पक्ष की आरोपणा का प्रायश्चित्त आता है। लिसे संयुक्त करने से दो
मास की प्रस्थापना होती है। बोमासियं परिहारदाणं पटुषिए अणगारे अंतरा मासियं दो मास प्रायश्चित दहन करने वाला अणगार यदि प्रायपिचत्त परिहारट्टाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा-अहावर पक्खिया वहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोजन,हेतु या कारण आरोवणा आविममावसाणे सअळं सहेज सकारणं अहीण- से मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष सेवन करके आलोचना करे तो महरितं तेणं पर मलाइज्जा मासा ।
उसे न कम न अधिक एक पक्ष की आरोपणा का प्रायश्चित्त आता
है । जिसे संयुक्त करने से ढाई मास की प्रस्थापना होती है । अड्ढाइज्ज-मासियं परिहारट्टाणं पटुविए अणगारे अंतरा ढाई मास प्रायश्चित्त वहन करने वाला अणगार यदि मासिय परिहारहाणं पडिसेबित्ता आलोएग्जा-अहावरा प्रायश्चित्त बहन काल के प्रारम्भ में, मध्य में या अन्त में प्रयोपक्षिया आरोवणा आदिमजावसाणे सअट्ट सहे सकारणं जन, हेतु या कारण से मासिक प्रायश्चित्त योग्य दोष सेवन अहोगमहरितं तेणं परं तिम्णिमासा ।
करके आलोचना करे तो उसे न कम न अधिक एक पक्ष की बारोपणा का प्रायश्चित्त आता है। जिसे संयुक्त करने से तीन मास की प्रस्थापना होती है।