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________________ सूत्र ५६३ २९. सुसजिए ३०. संत्रास, से तं भिक्लारिया । - वि. स. २५, उ.७. सु. २०० पंच ठाणाई समषेण भगवया महावीरेणं समणाणं निर्मायाणं जावाति व जहा १. २. विसर ३. अंतर ४. पंचरए, ५. सूहचरए । पंच ठाणाई समणेण भगवया महाबीरेणं समणाणं निषाणं जाना जहा १. अण्णायचरए, २. भिक्षाचर्या के प्रकार २. भोणच ४. संसकप्पिए, ५. तनासपिए । पंच ठाणा समचं भगवया महाबीरेणं समणार्थ निचार्य जान-समझाया भवंति तं जहा १. ए २. सुसणिए, ३. संखादतिए, ४. ए (२९) एषणा में कोई भी अपवाद सेवन न करने का अभि ग्रह करना । (२०) परिमाण निश्चित करके आहार लेने का करना। अभि यह विद्याचर्या तप है। श्रमण भगवान् महावीर ने श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए पाँच अभिग्रह स्थान की --- यावत् आज्ञा दी है, यथा तपाचार (१) उत्क्षिप्तचरक - शंधने के पात्र से निकाला हुआ आहार ग्रहण करना । (२) निक्षिप्तचरक - रांधने के पात्र में से बहार ग्रहण करना । (३) अन्तचरक परिवार वालों के भोजन कर लेने के बाद बचा हुआ आहार ग्रहण करना । (४) प्रान्तचरक - तुच्छ आहार लेने का अभिग्रह करना । (५) रूक्षचरक-सर्व प्रकार के रसों से रहित रूक्षा आहार ग्रहण करना | श्रमण भगवान् महावीर ने श्रमण निर्मन्थों के लिए पाँच अभिग्रह स्थान की — यावत् - आज्ञा दी है, यया बताये बिना (१) अज्ञातचरक - अपनी जाति कुलादि अथवा अज्ञात गृहस्थ से भिक्षा लेना । भिक्षा लेना । - (२) अन्नग्लाय चरक - आज का बना हुआ न हो ऐसा आहार लेना । (३) मौनचरक मौन रहकर भिक्षा जाना। (४) संकल्प (१) औनिधिक (२) शुद्ध वणिक (३) संपादक करके आहार लेना । (४) [२७१ - लेना । (५) तज्जात संसुष्टकल्पिक — देय द्रव्य से लिप्त हाथ नादि से ही भिक्षा लेना । श्रमण भगवान् महावीर ने श्रमण निर्मन्थों के लिए पांच अभिग्रह स्थान की आशा दी है, यथा समीप में रखे हुए बाहार को ही लेना। निर्दोष आहार की ही गवेषणा करना । सीमित संख्या में दसियों का निय लिया हाथ या कड़ी आदि से ही - लामिक सामने रखा इव महारपानी ही १ सुद्धेस थिए- आहार, उपाथय, वस्त्र, पात्र, पीढ़, फलक मादि आवश्यक सामग्री की सर्वदा अपवाद रहित शुद्ध एषणा ही करना "सुद्धेणि" अभिग्रह है। २ (क) सू. २. अ. २. ०१४ (स). सु. ३०
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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