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सूत्र ४६३
मांग-मांग कर याचना करने के प्रायश्चित्त सूत्र
संघ-व्यवस्था
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ओभासिय जयणाए पायच्छित्त सुत्ताई-
मांग-मांग कर याचना करने के प्रायश्चित्त सूत्र-- ४९२. जे भिक्ख आगंतारेसु वा बारामागारेसुवा, माहापद-फुलेसु ४६२. जो भिक्षु धर्मशालाओं में, उद्यानगृहों में, गृहस्थों के घरों
वा, परियावसहेसु वा अण्णउत्थिय या पारस्थियं वा असणं में अथवा आश्रमों में अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से अशन-शवत्-- वा-जाव-साइम वा सोभासिय-ओभासिय जाय जायतं या रवाय मांग-मांग कर याचना करता है, करवाता है, करने वाले साइज्जा ।
का अनुमोदन करता है। जे मिक्यू आगंतारसु या-जाव-परियावसहेसु वा अण्णस्थिया जो भिक्षु धर्मशालाओं में यावत्-आश्रमों में, अन्यवा गारत्थिया वा असणं या-जात्र-साइमं वा ओभासिय- तीथिकों या गृहस्थों से अशन-यावत्-स्वाद्य मांग-मांग कर ओभासिय जायह जायंत वा साइज्जइ।
याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन
करता है। जे भिक्खू आगंतारेसु वा-जाव-परियावसहेसु व अण्णउस्थिणी जो भिक्षु धर्मशालाबों में यावत् -- आश्रमों में, अन्यवा गारस्थिणी वा असणं वा-जाव-साइम वा ओभासिय तीथिक या गृहस्थ स्त्री से अगनयावत्-स्वाद्य मांग-मांग कर ओभरसिय जाया जायंतं वा साइजइ ।
याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन
करता है। जे भिक्खू आगंतारे था-जाव-परियावसहेसु वा अण्णउत्यि- जो भिक्षु धर्मशालाओं में यावत्-आश्रमों में, अन्यजीओ वा गारस्थिणीओ वा असणं वा-जाव-साइमं वा तीथिक या गृहस्य स्त्रियों से अशन-पावत्-स्वाय मांग-मांग ओभासिय-लोभासिय जायद जायंत या साइजह । कर याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन
करता है। जे मिक्लू आगंतारेखु वा-जाव-परियावसहेसु वा "को उहल्ल जो भिक्षु धर्मशालाओं में--पावत्-आश्रमों में कोतुहलवश वडियाए पडियागयं समाणं" अण्णस्थिय वा गारस्यिय वा अन्यतीथिक से या गृहस्थ से अशन-यावत् --स्वाध मांग-माग असणं या-जाव-साइमषा मोभासिय-ओभासिय जायद कर याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन जायंतं वा साइज्जद।
__ करता है। जे मिक्खू आगंतारेसु वा-जाव-परियावसहेसु वा "कोठहल्ल जो भिक्षु धर्मशालाओं में यावत्-आश्रमों में कौतूहलवश वडियाए पडियागयं समा" अण्णउत्थिया या मारस्थिया अन्यतीथिकों से या गृहस्थों से अपशन-यावत् -स्वाध मांग-माग वा असणं वा-जाव-साइमं वा ओभासिय-ओमासिम जापई कर याचना करता है. करवाला है या करने वाले का अनुमोदन जातं वा साइज्जद।
करता है। जे मिक्बू आगंतारेसु वा-जाव-परियायसहेसु वा "कोहल्ल- जो भिक्षु धर्मशालाओं में यावत्-आश्रमों में कौतुहलवश बखियाए पडियागय समाणं" अण्णउस्थिणी वा गारतियणी अन्यतीथिक या गृहस्थ स्त्री से अशन-यावत्-स्वाद्य मांग-मांग वा असणं वा-गाव-साइम वा अोभासिय-ओमासिय जायद कर याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन जायत का साइजह।
करता है। जे भिक्खू आगंतारेनु वा-जाय-परियावसहेसु वा कोउहत- जो भिक्ष धर्मशालाओं में-यावत्-आश्रमों में, कोतुहलवश अग्यिाए पजियागयं समाण" अण्णस्थिणीओ चा गारथि अन्यतीथिक या गृहस्थ स्त्रियों से अपान-यावत्-स्वाध मांगणीओ वा असणं वा-जाव-साइम वा ओभासिय-ओभासिय मांग कर याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुजायद जायंतं वा राइस्जद ।
मोदन करता है। जे भिक्खू आगंतारेसु वा-जाब-परियाषसहेसु वा अण्णत्थि- जो भिक्षु धर्मशालाओं में पावत्-आश्रमों में, अन्यतीथिक एण वा गारस्थिएण वा असणं या-जाव-साइमं या अभिहडं या गृहस्थ के द्वारा बशन-यावत् - स्वाद्य सामने लाकर देते आहट्टु दिज्जमाणं पडिसेहेता तमेष अणुवतिय अगवत्तिय, हुए का निषेध करके पुनः उसी के पीछे-पीछे जाकर या परिवेडिय-परिवेद्विय, परिजविय-परिज विय, शोभासिय- उसी के आसपास व सामने जाकर या मिष्ट वचन बोलकर मांगओभासिय जायई, जयंत वा साइज्जद ।
मांग कर याचना करता है, करवाता है या करने वाले का अनुमोदन करता है।