________________
७४२]
चरणानुयोग
ब्रह्मचर्य के अनुकूल जन
परिशिष्ट १
सूत्र ३.४. (ग) बो ठागाई अपरिपाणेत्ता आयः पो केवलेगं संब- सूत्र ३०४. (ग) आरम्भ और परिग्रह इन दो स्थानों को जाने रेणं संवरेज्जा, तं जहा
और छोडे बिना आत्मा सम्पूर्ण संवर के द्वारा संबूत नहीं होता। आरंभे अंध, परिगहे वेव। वो गाई परियाणेत्ता आया केवले संघरेणं आरम्भ और परिग्रह इन दो स्थानों को जानकर और संवरेज्जा, तं जहा
छोड़कर आत्मा सम्पूर्ण संवर के द्वारा संवृत होता है। आरभे चेब, परिग्गहे वेष।
-ठाणं, अ, २, उ. १,नु.५४-५५ पृष्ठ २२५
पृष्ठ २२५ सूत्र ३२५. (ख) ततो गं समणे भगवं महावीरे उप्पक्षणाणसण- सूत्र ३२५.६(खतत्पश्चात् केवलज्ञान-केवलदर्शन के धारक श्रमग
धरे गोतमाधीगं समगाणं णिगंयाण पंच महत्व. भगवान महावीर ने गौतम आदि थमण-निर्ग्रन्थों को (लक्ष्य करके) पाई समावणाई छज्जीवणिकायाद्रं आहवखंति भावना सहित पंच महायतों और पृथ्वीकाय से लेकर उसकाय भासति परवेति, तं जहा-पुतवीकाएन्जाक्-तस- तक षड़जीवनिकायों के स्वरूप का व्याख्यान किया। सामान्य.
काए। -आ.सु २, अ. १५, सु. ७७६ विशेष रूप से प्ररूपण किया। पृष्ठ ३२२
पृष्ठ ३२२ बंभचेराणुकुलाजणा
ब्रह्मचर्य के अनुकूल जनसत्र ४५८. (ख) दो ठाणा अपरियाणेता आया जो केवर बंभ- सूत्र ४५८. (ब) आरम्भ और परिग्रह इन दो स्थानों को जाने चेरवासमाषसेम्जा तं जहा
और छोड़े बिना आत्मा सम्पुर्ण ब्रह्मचर्पवास को प्राप्त नहीं आरंमे घेव, परिग्गहे चेव ।
करता। वो तापाई परियाणे जजा आया केवलं बंभचेरवास- आरम्भ और परिग्रह इन दो स्थानों को जानकर और मावसेज्जा, तं जहा
____ छोड़कर बात्मा सम्पूर्ण ब्रह्मचर्वदास को प्राप्त करता है। आरंभे घेव, परिग्गहे चेव ।
-ठाणं. अ. २, उ. १, सु. ५४-५.५ पृष्ठ ४१४
__पृष्ठ ४१४ : सूत्र ६२७. (ख) सचित्त पढवीआइए निसिज्माकरण पायच्छित्त सुताई-- सचित्त पृथ्वी भादि पर निषा करने के प्रायश्चित्त सत्र-. सूत्र ६१७. (ख) जे मिक्स माउग्गामस्स मेहण-वडियाए "अगंतर- जो भिक्ष स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से चित्त
हियाए पुढवीए" णिसीयावेज्ज वा, तुपट्टावेज्जया, पृथ्वी के निकट की भूमि पर स्त्री को विटाता है या मुनाता है णिसीयात बा, तुयावेत वा साइज्जद । अथवा बिठाने वाले का या मुलाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहण वडियाए 'सास- जो भिक्षु स्त्री के सात मैथुन सेवन के संकल्प से स्निग्ध णिकाए पुढवीए" णिसीयावेज ना, तुयट्टावेज भूमि पर स्त्री को विठाता है या सुलाता है अथवा बिझने वाले वा, णिसोयावतं वा, तुयट्टायेत वा साज्जा का या सुलाने वाले का अनुमोदन करता है। मे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए "सस- जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से चित्त रक्खाए पुढवोए" णिसीपावेज वा, तुपट्टावेज रज युक्त भूमि पर स्त्री को बिठाता है या सुलाता है अथवा बा, णिसीयावेत वा, तुपट्टावेत वा साइजह । बिठाने वाले का या सुनाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुग-यग्यिाए "मट्टिया- जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से मचित्त कराए पुदवाए” णिसीयावेज वा, तुपट्टावेज्ज था, मिट्टी युक्त भूमि पर स्त्री को बिठाला है या मुलाता है अथवा णितीयावेत या, तुपट्टावेत वा सादज्जा। बिठाने वाले का या मुलाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू माउग्गामस्स मेलण-वजिशाए "चित्त- जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से मचित्त मंताए पुरवोए" णिसीयावेज वा, तुपट्टावेज वा, पृथ्वी पर स्त्री को बिठाता है या मुलाता है अथवा बिठाने वाले णिसीयात वा, तुपट्टावेत या साहज्जइ। मा सुलाने वाले का अनुमोदन करता है।