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________________ ७०४] चरणानुयोग पात्र परिकर्म करने के प्रायश्चित्त सूत्र सूत्र २५३-२६० से भिक्खू वा भिक्खूणी वाणिगी ये पारे लि कर मिया मिली “मेर पात्र दुर्गधनाला है" ऐसा सोचकर गो बाहवेसिएण सिणाणेण या-जाव-परमेण वा, आधसेन्ज वा, उसे अल्प या बहुत सुगन्धित द्रव्य समुदाय से - यावत् - पद्मचूर्ण पसेजन वा। से न घिसे, न बार-बार घिसे । से मिक्सू वा मिक्खूणी वा "दुरिभगंधे में पाये ति कटुटु" भिक्षु पा भिक्षुणी "मेरा पात्र दुर्गन्धवाला है" ऐसा सोचणो बहुदेसिएण सीओदगवियण वा. उसिणोदावियरेण वा, कर उसे अल्प या बहुत अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण उम्छोलेज्ज वा, पधोएज्ज था। जल से न धोये, न बार-बार धोये । -आ. सु. २, अ. ६, ज. १, सु. ६०० (ख) पाय परिकम्म पायच्छित्त सुत्ताई पात्र परिकर्म करने के प्रायश्चित्त सूत्र-- २६०. जे भिक्खू "नो नवए मे परिगहे लडे" ति कट्ट बहवेसि- २६५. जो भिक्षु "तुझे नया पात्र नहीं मिला है" ऐसा सोचकर एग सेल्लेण वा-जाव-णवणीएम वा, मक्वेज्ज वा, मिलि- पात्र के अल्प या बहुत तेल-यावत्-मस्खन लगावे, बारगेज बा, मक्खेत वा, मिलिगत वा साइजह। बार लगावे, लगवावे, बार-बार लगवावे लगाने वाले का बार बार लगाने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्खू "नो नबए मे पडिग्गहे लये" ति कटु बहुवेति- जो भिक्षु 'नया पात्र मुझे नहीं मिला है" ऐमा मोचकर एण लोशेण वा-जाव-वण्ण वा, उल्लोलेन्ज वा, उश्वलेज्ज- पात्र के अल्प या बहुत लोध से—यावत् - वर्ण से लेप करे. बारवा, उल्लोलत वा, उज्वलंतं वा साइज्जद । बार लेप करे, लेप कराव, बार-बार लेप करताचे, लेप करने वाले का बार-बार लेग करने वाले का अनुमोदन गरे। जे निकषु "नो नचए मे पडिग्गहे लहूं" त्ति कट्ट बहुवेलि- जो शिशु म नया पात्र नहीं मिला है' ऐमा सोचकर एण सीओदगविघडेण वा, उसिणोगवियण वा. उच्छो- पात्र को अल्प वा यहुत अत्रित्त गीत जल मे या अचिरा उष्ण सज्ज था, पधोएग्ज वा, उच्छोलतं चा, परोप्त वा से धोये, बार-बार धोये, धुलाये, बार-बार ध्रुलावे, धोने वाले साइज्जह। का बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्खू "नो नवए से पडिम्यहे लडे" ति कटु बलदेव- जो भिक्षु "मुझे नया पात्र नहीं मिला है" ऐसा सोचकर सिएण तेल्लेण वा जाव-णबीएण वा मक्सज्ज वा, मिलि- पात्र के रात रखा हुआ तेल-यावत्-नवनीत लगावे, बारगेज्ज बा, मक्खेंतं वा, मिलिगत वा साइजद । बार लगावे, लगवाने, बार बार लगवाये, लगाने वाले का यार बार लगाने वाले का अनुमोदन करे। जे मिक्खू-"नो नवए मे पडिग्गहे लखे" ति कटु बहवेव- जो भिक्षु "मुले गया पात्र नहीं मिला है" ऐसा सोचकर सिएण सोवेग वा-जाव-वणे ण वा, उल्लोलेज या, उस्त्र- पात्र के रात रपे हुए लोध-यावत् वर्ण से लेप करे, बार-बार लेज वा, उल्लोलेंतं वा, उम्वलेंतं वा साइज्जइ । लेप करे, लेप करावे, बार बार लेप बरादे, लेप करने वाले का बार-बार लेप करने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्खू-"नो नवए में पडिग्गहे तो"त्ति कटु बलवेच- जो भिक्षु "नय पात्र नुसे नहीं मिला है। ऐसा सोचकर सिएण सौओबगवियडेण वा, उसिगोविगवयग वा, उच्छो- पाष को रात रखे हुए अचित्त शीत जल में व अनित्त उखाण जल लेज वा, पधोएज्ज घर, उच्छोलेत वा, पधोएंत वा से धोये, बार-बार धोये, धुलाचे बार-बार धुलावे, धोने वाले का साइजद। वार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्खू "बुन्मिगंधे मे पडिग्गहे लखे" ति कटु बहुवेनि- जो भिक्षु "मुझे दुर्गन्ध वाला पात्र मिला है" ऐसा सोचकर एण तेल्लेण वा-जान- णवणीएण वा, मक्खंज्ज बा, भिलिगेम पात्र के अल्ल या बहुत तेल-यावत्-नवनीत लगावे, बार-बार वा, मक्खेतं वा, मिलिगेसं या साइजह । लगाने, लगवाये बार-बार लगवावे लगाने वाले का बार-बार लगने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्षू-“बुजिमगंधे मे पडिग्गाहे लडे" ति कटु बहुदेसि- जो भिक्षु 'मुझे दुगन्ध वाला पात्र मिला है" ऐसा सोचकर एण लोदेण पा-जाव-धरणेण वा, उन्छोलेज्ज वा, उपवलेज्ज पात्र के अल्प या बहुत लोध से.-यावत्-वर्ण से लेप करे, वा, उल्लोलेंतं वा, उबलतं या साइण्या। बार-बार लेप करे, लेप कराव, बार-बार लेप करावे, लेप करने बाजे का बार-बार लेप करने वाले का अनुमोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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