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सूत्र ४३-४५
सागारिक के अशनादि प्रहग का निषेध
चारित्राधार : एषणा समिति
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जे भिक्खू आहेणं वा-जाव-संमेलं वा अन्नयरं वा तहापगारं जो भिक्षु वर के घर का भोजन - पावत्-गोठ आदि का विस्यहवं तीरमाणं पेहाए ताए आसाए, ताए पियासाए तं भोजन तथा अन्य भी ऐसे विविध प्रकार के भोजन को ले जाते रयगि अण्णत्य उवाइणावेइ. उवाइणावंतं साइज्जइ । हुए देखकर उनको आशा से, अभिलाषा से जहाँ ठहरा है वहाँ
से दूसरी जगह रात्रि विश्राम करता है, करवाता है, करने वाले
का अनुमोदन करता है। तं सेवमाणे आवजइ चाउम्भासियं परिहारद्वाणं अणुग्घा- उसे चातुर्मासिक अनुमतिक परिहारस्पान (प्रायश्चित्त) इम्।
-नि. उ. ११, सु. ८. आता है।
** सागारिक-१२
सागारियरस असणाइ गहणणिसेहो--
सागारिक के अशनादि ग्रहण का निषेध४४. से भिक्खू वा, भिक्खूगी या जस्सुवस्सए संबसेक्जा तस्स ४४. भिक्ष या भिक्षुणी जिसके उपाश्रय में निवास करे, उसका
पुवामेव जामगोत्तं जाणेजा, तो पच्छा तस्स गिहे नाम और गोत्र पहले से जान लें। उसके पश्चात् उसके घर में णिमंतेमाणस या, अणिमतेमाणस्स या असणं वा-जाव- निमंत्रित करने या न करने पर भी अशन-थावत्-स्वाद्य साइमं वा अफासुयं-जाद-गो पङिगाहेज्जा ।
बाहार अप्रासुक जानकर--पावत्-ग्रहण न करें। -आ. सु. २, अ०२, उ० ३, सु०४६ पारिहारिय सागारियस्स जिओ--
परिहरणीय शय्यातर का निर्णय४५. सागारिए उवस्सयं वक्कएणं पउजेज्ना, से य वमकहयं ४५. यदि उपाश्रय किराये पर दे और किराये पर लेने वाले को
वएज्जा-इमम्मि इमम्मि व ओवासे समषा निगया यह कहें कि--"इतने-इतने स्थान में श्रमण निग्रंन्य रह रहे हैंपरिवसति" से सागारिए पारिहारिए।
इस प्रकार कहने वाला पहस्वामी सगारिक है, अतः उसके
घर आहारादि लेना नहीं कल्पता है। से य नो यएज्जा, वक्फइए वएज्जा, से सागारिए पारिहा- यदि शय्मातर कुछ न कहे--किन्तु किराये पर लेने वाला रिए।
कहे तो वह सागारिक है, अत परिहार्य है। दो वि ते वएज्जा, दो वि सागारिया पारिहारिया ।
यदि किराये पर देने वाला और लेने वाला दोनों कहें तो
दोनों नागारिक हैं, अतः दोनों परिहार्य है। सागारिए उचस्सय विक्किणेज्जा, से य कइयं बएज्जा- सागारिक यदि उपाश्रय बेचे और खरीदने वाले को यह कहे "इमम्मि य इमम्मि य ओबासे समगा निपथा परिवसंति" कि.-"इतने-इतने स्थान में श्रमण निर्बन्ध रहते हैं।" से सागारिए पारिहारिए।
तो वह सागारिक है, अतः वह परिहार्य है। से य नो वएग्जा, कइए वएज्जा, से सामारिए पारिहारिए। यदि उपाश्रय का विक्रेता कुछ न कहे किन्तु खरीदने वाला
कहे तो वह सागारिक है, अतः वह परिहार्य है। वो विते वएज्जा, दो वि सागारिया पारिहारिया।
यदि विक्रेता और केता दोनों कहें तो दोनों सागारिक हैं, -भव. उ. ७. सु. २२-२३ अतः दोनों परिहार्य हैं। एगे सागारिए पारिहारिए।
___ जिस उपाश्रय का एक स्वानी हो वह एक नागारिक पारि
हारिक है। रो, तिणि, चत्तारि, पंच सागारिया पारिहारिया । __ जिस उपाश्रम के दो, तीन, चार या पात्र स्वामी हों, ये सब
सागारिक पारिहारिक है।