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________________ ५६४] चरणानुयोग मूर्धाभिषिक्त गजा के निकाले गए आहार लेने के प्रापश्चित भूत्र सूत्र १५८ - - - - - - - या-जाव-साइमं वा परस्स गोहर पडिग्गाहेर पडिग हेतं वा देने के लिए बाहर निकाला हुआ अगन-यावत्-स्वाध लेता है, साइजह । तं जहा लिवाता है. लेने वाले का अनुमोदन करता है । यथा१. सत्यवाहाण वा, २. संबाहावयाण वर, १. संदेशवाहक को २. मर्दन करने वालों को, २ अभंगावयाण या, ४. उज्वट्टावयाण या, ३. मालिश करने वालों को ४. उबटन करने वालों को, ५. मजावयाण वा, ६. मंगवयाग वा, ५. स्नान कराने वालों को, ६. मुकुट पहनाने वालों को, ७.छत्तग्गहाग वा, ८. चामरकाहाणं वा, ७.छत्र ग्रहण करने वातों को, ८. चामर ग्रहण करने वालों को हडप्प-नगहाण वा, ६ आभरण पहनाने वालों को, १०. परिपट्ट-गहाण वा, १०. वस्त्र पहनने वालों को, ११. दोविय-गहाणं वा, ११. दीपक ग्रह्ण करने वालों को, १२. असि-गहाण वा, १२. तलवार ग्रहण करने वालों को, १३. घणु-गहाग वा, १३. धनुष ग्रहण करने वालों को, १४. सत्ति-ग्गहाण वा, निशूर मह काले वालों को, १५. कोंत-गहाण वा। १५. भाला ग्रहण करने वालों को। जे भिन्यू रष्णो खत्तियाण मुदियाणं मुदाभिसिताग असगं जो भिक्षु शुद्धवंशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का दूसरों को धा-जाव-साइम वा परस्स पीहर पडिग्गाहेद, पडिग्यात देने के लिए बाहर निकाला हुआ अगन--यावत्-स्वाध लेता है, बा साइज्जतं महा-- लिवाता है. लेने वाले का अनुमोदन करता है । यथा१. वारस-घराण या १. अंतःपुर रक्षक (कृत नपुंसक) को, २.कंचुइज्जाण वा. २. कंचुकियों (जन्म से नपुंसक को) ३. बोरियाण वर, ३. अंतःपुर के द्वारपाल को और, ४. बंडारमिखयाण था। ४. दण्डरक्षकों (अंतःपुर का प्रहरी) को । जे भिक्खू रक्को बत्तियाणं मुद्दिपाणं मुशाभिसित्ताणं असगं जो भिक्षु शुद्धवंषीय मुद्धीभिषिक्त क्षत्रिय राजा का दूसरों को वा-जाब-साइमं वा परस्स गोहां पडिगाहेइ, पडिग्गाहेंतं देने के लिए बाहर निकाला हुआ आन--पावत्-म्बाद्य लेता है, वा साइज्जइ। सं जहा-- लिवाता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है । यथा-- १. खुज्जाण वा, १. कुब्जा दासियों को, २.चिलाइयाण वा, २. किरात देशोत्पन्न दासियों को, ३. यामणीण वा, ३. वामन दासियों को, ४. पडभीण वा, ४. वक्र शरीर वाली दानियों को, ५. बम्बरीण वा, ५. बञ्चर देशोत्पन्न दासियों को, ६. बउसीण वा, ६. बकुर देगोत्पन्न दामियों को, ७. जरेणियाण वा, ७. यवन देशोत्पम दासियों को, ८. पल्हवियाण वा, ८. पल्हव देशोत्पन्न दासियों को, १. ईसणीण वा, ६. इसीनिका देशोत्पन्न दासियों को, १०. धोकगिणीण वा, १०. बोरूप देण्योत्पन्न दासियों हो, ११. लउसीण वा, ११. लकुश देशोत्पन्न दासियों को, १२, लासीण था, १२. लाट देशोत्पन्न दासयों को, १३. सिंहलोणं वा, १३. सिंहल देशोत्पन्न दासियों को, १४. बमलीण वा, १४. द्रविड़ देशोत्पन्न दासियों को, १५. आरबीण वा, १५. अरब देशोत्पन्न दासियों को १६. पुलिदीण वा, १६. पुलिन्द देशोत्पन्न दासियों को, १७. पक्कणोण वा, १७. पत्रकफ देशोत्पन्न दासियों को, १८. बहसीण वा, १८. बहल देशोत्पन्न दासियों को,
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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