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________________ सूत्र ६८ मूर्धाभिषिक्त राजा के निकाले हुए आहार लेने के प्रायश्चित सूत्र चारित्राचार : एषणा समिति [५६३ जे भिक्खू रगो खसियाणं मुद्दिमागं मुखामिसिसाणं असणं जो भिक्षु शुद्धवंशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का अशन वा-जाद-साइमं वा परस्स पोहा पडिगगाहेक, पडिग्गाहेंतं धा - यावत्- स्वाद्यं जो दूसरों को देने के लिए बाहर निकाला है साइज्जइ । तं महा उसे लेता है. लिवाता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है। स्था१. गडाण बा, २. गट्टाण वा. (१) नाटक करने वालों को, () नत्य करने बालों को, ३. कच्छ्याण वा, ४. जल्लाण वा, (३) डोरी पर नृत्य करने वालों को, (४) स्तोत्र पाठकों को ५. मल्लाण वा, ६. मुट्टियाण वा, (५) मल्लों को, (६) मुष्ठिकों को, ७. वेबगाण वा, ८. कहगाण था, (७) भांड-चेष्टा करने वालों को, (८) कथा करने वातों को, ६. पवगाण या, (e) नदी जादि में तैरने बालों वो. १०. लासगाण वा. (१) जयजयकार बोलने वालों को, ११. खेलयाण वा, १२. छत्ताण याण था । (११) खेल करने वालों को और (१२) छत्र लेने वालों को। जे भिक्खू रफ्णो खत्तियाणं मुहियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं जो भिक्ष, शुद्धवंशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का दूसरों बा-जाव-साइमं वा परस्स पोहर पडिग्गाहेइ, पडिपात को देने के लिए बाहर निकाल हुआ अशन-पावत् --स्वाद्य वा साइज्जई । तं जहा लेता है, लिवाता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है । यथा - १. आस-पोसयाण वा २. हस्थि-पोसयाण वा, (१) अश्व पोषक, (२) हस्ति पोषक, ३. महिस-पोसयाण वा, ४. वसह-पोसयाण (३) महिष पोषक, (४) ऋषभ पोषक, ५. सोह-पीसयाण या, ६.बन्ध-पोसयाग वा, (५) सिंह पोषक, (६) व्याघ्र पोषक, ७. अय-पोसवाण वर, ८, पोय-पोसवाण था, (७) अजा पोषक, (5) कपोत पोषक, ... मिग-पोसपाण वा, १०. सुणह पोसयाण वा, (६) मृग पोषक, (१०) श्वान पोषक ११. सूपर-पोसयाण था, १२. मेंट-पोसयाण था, (११) सूकर पोषक, (१२) मिठा पोषक १३. कुक्कुड-पोसयाण वा, १४. तित्तिर-पोसयाण का, (१३) कुक्कुट पोषक, (१४) तीतर पोषक १५. धट्टय-पोसयाण वा, १६. लावय-पोसवाण वा, (१५) बतक पोषक (१६) लावक पोषक १७. चीरल्ल-पोसयाण वा, १८. हंस-पोसयाग था, (१७) चील पोषक, (१८) हम पोषक, १६. मपूर-पोसयाण वा, २०. सुय-पोसयाण वा। (१६) मयूर पोषक और (२०) शुक पौरक । जे भिक्षू रण्णो खत्तियाणं मुहियाणं मुसाभिसित्ताणं असणं जो भिक्षु शुद्धवंशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का दूसरों बा-जाब-साइम वा परस्स गोहर पडिागाहेइ, पडिग्गाहेंतं को देने के लिए बाहर निकाला हुआ अथन - यावत् -स्वाद्य वा साहज्जा । तं जहा लेता है, लिवाता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है। यथा१. आस-चमगाण वा, (१) घोड़े का दमन करने वाले को, २. हस्थि-दमगाण था। (२) हामी का दमन करने वाले को। जे भिक्खू रणो खत्तियाणं मुहियाण मुसाभिसित्ताणं असर्ण जो भिक्षु शुद्धबंशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का जो दूसरों वा-जाद-साइमं वा परस्स गोहर पडिग्गाहेइ. पडिगाडेतमा को देने के लिए बाहर निकाला हुआ अशन - पावत्-स्वाद्य साइजह । तें जहा लेता है. लिवाता है, लेने वाले का अनुमोदन करता है। पया१. आसरोहाण वा, (१) घोड़े पर चढ़ने वालों को, २. हस्थि-रोहाण या। (२) हाथी पर चढ़ने वालों को, जे भिक्खू रणो खत्तियाण मुदियाणं मुशामिसित्ताण असणं जो भिक्षु शुजवशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का दूसरों वा-जाव-साइम वा परस्स गोहर पडिग्गाहेह, पडिग्गाहेत को देने के लिए बाहर निकाला हुआ अशन-यावत्-स्वाध लेता या साइज्जा । तं जहा-- है, लिवाता है लेने वाले का अनुमोदन करता है यथा१. मास-मिठाण वा, २.हत्यि-मिठाण धा। (१) अश्वरक्षकों को, (२) गजरक्षकों को। जे भिषणू रपणो पत्तियाणं मुष्टियाण मसानिमित्ताण असणं जो भिक्षु शुद्धवंशीय मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा का दूसरों को
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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