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________________ १०] चरणानुयोग farकायमाणं पसढं, रएण परिफासियं I देतियं पडिआइखे न मे कम्पs तारिसं ॥ पुस्काई विपदार्थ पवेस थिमहो ७४. या बीयाई वा कोइए। भोलि परिच ॥ २. - दस. अ. ५ उ. १, गा. १०२-१०३ दारगाई उल्लंघन गिरोहो ७५. एलगं दारगं साणं वन्धमं वावि कोट्टए । नपाए २. २. उच्छुचीयगं वा ४. वा बहुधम्मिय आहार ग्रहण- गिरोहो२०६गी वाहवा अणुविसमा से जं पुण जाणेज्जा - पुष्प आदि बिखरे हुए स्थान में प्रवेश का निषेध - दस अ. ५. उ. १, गा. २२ हत्यारं अंतरवासिलिया जाबोडियामा ।' -दन. अ. ५, उ. १. गा. २१ देखकर मुनि आहार के लिए व जाये । बच्चे आदि के उल्लंघन का निषेध - ०३. मुच्चे और को हटाकर घर आदि में (आहार के लिए) प्रवेश न करे । ५. उच्छुसाल या ६. डा. ७. सिवा ८. सिवलियालगं वा अस्ति खलु पडिया हिसार ३ महा ४. १. परिमा परमा अभ्यपिंडस गणिनेो२०७. सेवा वा अणुविसमा पपुजा१. अगडि उक्खिमाणं पेहाए. २मा हा विषयपडिए - आ. सु. २, अ १, उ. १०, मु. ४०२ कार्य हुए हों और वे रजयुक्त हों तो भुति देती हुई स्त्री को कहे कि "इस प्रकार का आहार में नहीं ले सकता ।” पुष्प आदि बिखरे हुए स्थान में प्रवेश का निषेध ७४. जिस घर आदि में (या द्वार पर पुष्प बीजादि बिखरे हों तथा भूमि तत्काल की बीपी और दीनी हो यहाँ उन्हें सूत्र ३७३-६७७ अधिक त्याज्य भाग वाले आहार ग्रहण का निषेध२०६ गृहस्थ के घर में आहार के लिए प्रष्ट नि या भिक्षुणी ग्रह जाने कि- (९) (२) की दीलियां का मध्य भाग, के पार कटे हुए छोटे-छोटे खण्ड (३) इक्ष के छिलके सहित खण्ड, (४) इशु का अग्रभाग, (2) कीशालाएं. (६) इक्ष के गोल टुकड़े, (७) सेकी हुई कलियों तथा उबली हुई भगवान फलियां जिनके ग्रहण करने पर खाने लायक अल्प और फेंकने लायक अधिक प्रतीत हो- ऐसे इक्ष की दो पेलियों के मध्य भागों को यावत्उबली हुई सरगवा की फलियों को अनाक जानवर-- यावत् ग्रहण न करे । अगडि के ब्रह्म का निषेध १० प्रवेश करते हुए यह जाने कि बिहार के लिए गृहस्थ के घर में (१) अग्रपिंड निकाला जा रहा है। (२) अपि अन्य स्थान पर रखा जा रहा है । (३) अति अन्यत्र ले जाया जा रहा है। (४) अपिंड बांटा जा रहा है । (2) अग्रपिंड खाया जा रहा है। १ बहु-अट्टियम्गलं अणिम्सिं वा बहुटयं । अत्वियं तिदुयं विल्लं, उच्छुखं च सिवल ॥ अये सिवाए देतियडिया न मे - ॥ - दस. अ. ५. उ. १. गा. १०४ १०५
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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