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________________ सूत्र १२ प्रवेश दृष्टान्त धर्म प्रजापना [२७ १. धम्मपएसो, २. अधम्मपएसो, ३. आगासपएसो 1. जीवपएसो. ५. बंधपएसो, १. बेसपएसो। एवं वयंत नेगम संगहो मणइ, भकसि छह पएसो, तपण प्रवद। (१) धर्मास्तिकाय हे प्रदेश, (२) अधर्मास्तिकाय के प्रदेश, (३) आकाशास्तिकाय के प्रदेश, (४) जीवास्तिकाय के प्रदेश, (५) स्कन्ध के प्रदेश. (६) देश के प्रदेश । इस प्रकार कहते हुए नगमनय वाले को संग्रहनम वाला कहता है-"जो तुम नहीं के प्रदेश कहते हो-वह यथार्थ नही है।" . ... प्र-कैसे? -जिम द्रक्ष्य के देश के जो प्रदेश है व प्रदेश उनी द्रव्य प.-कम्हा? उ०-अम्हा जो सो देस पएसो सो तस्सेव वश्वस्त । १०-जहा को विट्ठातो? प्र. -दृष्टान्त क्या है ? उ०-वासेग मे खरो कोओ बरसो वि मे बुरो वि मे, तं उ.-मर दास ने गधा बरीदा है तो दाम भी मेरा है और मा मणाहि-छहं पएसो। गधा भी भरा है। इसलिए छहों के प्रदेश न कहो । भणाहि-पंचाहं पएसो, नं जहा पांच के प्रदेश बाहो । यथा - १. धम्मपएसो, २. अधम्मपएसो, (१) धारिखकाय के प्रदेण, (२) अधर्मास्तिकार के प्रदेश, ३. आगासपएसो, ४. जीवपएसो, (३) आकाशास्तिकाब के प्रदेश, (४) जीवान्तिकाय के प्रदेश, ५. खंधपएसो । (५) स्कन्ध के प्रदेश । एवं वयंत संगहं ववहारो भगई -जं गणसि पंचन इस प्रकार कहते हुए मरहनय वाले को व्यवहार नय बाला पएसो तं न भवइ । कहता है जो तुम पाँचों के प्रदेश कहते हो-वह यथार्थ नही है। ५०-कम्हा? प्र-कैसे? उ.-जइ जहा पंचमहं गोटियाणं फैइ दब जाए सामग्णे। उ.--जिस प्रकार पनि मित्रों के कुछ द्रय पदार्थ) साझे तं जहा-हिरपणे वा, सुबण्णे वा, धणे वा, धण्णं पा. के हैं। यथा-हिरणय, सुवर्ष, धन, धान्न । तो क्या पांचों के तो जुत्तं यत्तुंजहा पंचानं पएसो ? प्रदेश के समान ये पाँवों के द्रव्य है-इस प्रकार कहना युक्ति संगत है? तं मा मणाहि--पंचाह.पएसो । इसलिए पांचों के प्रदेश न कहें । भणाहि --पंचविहो पएसो, तं जहा पाँच प्रकार के पदेश हैं--ऐसा कहो-यथा१. धम्मपएसो, २. अधम्मपएसो, (१) धर्मास्तिकाय के प्रदेश, (३) अधम स्तिकाय के प्रदेश, ३. आगासपएसो, ४. जीवपएसो, (३) आकाशास्तित्राय के प्रदेश, (४) जीवास्निकाय के प्रदेश, ५. खंधपएसो। (५) ध के ! देश । । एवं वयंतं बवहारं ८ज्जुसुओ भगइ-जं भगति स प्रकार रहते हुए व्यवहारनय वाले को जुवनय पंचविहो पएसो, तं न भवा। वाला कहता है- तुम पाँच प्रकार के प्रदेश महने हो, वह चाय नहीं है। १०-कम्हा? १०- कैम १० ---जाते पंचविहो पएसो एवं ते एक्केवको पासो पंच- उ-यदिनम पाँव प्रकाश तहत हो तो एक-ग. विहो । एवं तं पणयोसविहीं पएसो भवद । के पांच प्रकार के प्रदेश हाँग-इस प्रकार बीस प्रकार के प्रदेण होत है। सं मा भणाहि-पंचविहो पएसो इसलिए पांच प्रकार के प्रदेश न कड़ा। भणाहि-भइयम्बो पएसो प्रदेश = विभाज्य है—ोसा कहो. .
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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