SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 548
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५१४] धरणामुयोग अवधारिगो भाषा सत्र ७६५-७६६ आणममी, आउ ति उ. पुमआणमणी त्ति गपुसगषयू, पाणवणी गं एसा भासा? ण एसा मान्द पुरुष वचन है और धान्य, यह शब्द नपुसक वचन है, क्या मासा मोसा? यह भाषा प्रज्ञाएनी है ? क्या यह भाषा मृषा नहीं है ? उ.-हता गोयमा । पुधि ति हस्थिवयू. आउ ति पुमवयू, उ.- हाँ. गौतम ! पृथ्वी, यह शब्द स्त्रीवचन है. पानी, यह घणे ति ण सगवयू, पण्णवणी पं एसा भासा, (पाकृत में) पुरुषवचन है और धान्य. यह शब्द नपुंसकवचन ण एसा भासा मोसा। है। या भाषा प्रज्ञापनी है, यह भाषः मृषा नहीं है। प०-अह भंते ! पुढधीति इत्थिाणमणी, आउ ति पुम- प्र.- भगवन् ! पृथ्वी, यह भाषा स्त्री-आशानी है, अप, आणमणी, धणे ति नपुसगआगमणी पण्णवणी पं यह भाषा पुरुष-आज्ञापनी है और धान्य, यह भाषा नपृराकएसा मासा? ण एसा भासा मोसा ? आशापनी है, क्या यह भाषा प्रज्ञापनी है ? क्या यह भाषा मृषा नहीं है? उ०—हंता गोयमा ! पुतवी त्ति इत्यिमाणममी, आउ ति उ.-हाँ, गौतम ! पृथ्वी. यह स्त्री-आज्ञापनी भाषा है, पुमाणमणी, धणे ति णःसगआणमणी, पण्णषणी अप, यह पुरुष-आज्ञापनी भाषा है और धान्य, यह नपुसकणं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा । आजापनी भाषा है, यह भाषा प्रज्ञापनी है. यह भाषा मृषा नहीं है। ५०-अह मंते ! पुरवीति इस्थिपण्णवणी, आउत्ति पुमपगण- प्र...-भगवन् ! पृथ्वी, यह स्त्री-प्रज्ञापनी भाषा है, अग्, वणी, धणे ति णपुंसगपण्णव आराहणो गं एसा यह पुरष-प्रज्ञापनी भाषा है और धान्य, यह गपु मक-प्रज्ञापनी भासा प एसा भासा मोसा ? भाषा है, क्या यह भाषा आराधनी है? क्या यह भाषा मृषा नहीं है ? उ-हता गोयमा ! पुढवीति इत्थिपण्णवणी, आउ सि पुम- उ.--हाँ, गौतम ! पृथ्वी, यह स्त्री-प्रज्ञापनी (भाषा) है, पण्णयणी, धणे सि ण सगपण्णवणी आराहणी गं अप, यह पुरुष-प्रज्ञापनी (भाषा) है और धान्य, यह नगुसकएसा भासा, ण एसा भासा मोसा । प्रज्ञापनो भाषा है, यह भाषा आराधनी है। यह भाषा मृषा नहीं है। प०-इघेवं मंते ! इरियषयणं वा पुमवयणं वा. गपुसग- प्र.- भगवन् ! इसी प्रकार स्त्रीचन या पुरुषवनन अथवा षयण वा क्यमाणे पग्णयणी ग एसा भासा ? ण नपुसकवचन बोलते हुए व्यक्ति की) या यह भापा प्रज्ञापनी एसा मासा मोसा? है? क्या यह भाषा मृषा नहीं है? उ6--हंता गोयमा ! इत्मिवयणं वा, पुमवयणं वा, गपुसग- उ... हाँ, गौतम ! स्त्रीवचन, पुरुषवचन अथवा नमुसक वयणं वा वयमाणे पग्णवणी णं एसा भासा. ण एसा वचन बोलते हुए (व्यक्ति की) यह भाया प्रजापनी है, यह भाषा भासा मोसा। --पण्ण प० ११, सु० ८५४.८५७ मृषा नहीं है। ओहारिणी भासा अवधारिणी भाषा७६६. ५०-से गूणं भंते ! मण्णामोति ओहारिणी मासा ? ७९६.प्र.-.-भगवन् ! क्या मैं ऐसा मानूं कि भाषण अवधारिणी (पदार्थ का अवधारण-अवबोध कराने वाली है ? चितमीति ओहारिणी भासा? क्या मैं (युक्ति मे)ोगा चिन्तन करूं कि भाया अवधारिणी अह मण्णामीति ओहारिणी मासा? अह चितमीति ओहारिणी भासा? तह मण्णामीति ओहारिणी भासा? (भगवन्) क्या मैं ऐसा मान कि भाषा अवधारिणी है ? क्या मैं (युक्ति द्वारा ऐसा चिन्तन करूं कि भाषा अवधारिणी है? (भगवन् पहले मैं जिग पकार मानता था) उसी प्रकार (अन भी) ऐसा मानूं कि भाषा अवधारिणी है ? तथा उसी प्रकार मैं (युक्ति से) ऐसा निश्चय करू' कि भाषा अवधारिणी है? तह नितेमीति ओहारिणी भासा ?
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy