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________________ सूत्र ७८६ नौका विहार के प्रायश्चित्त मूत्र चारित्राचार [५०७ जे भिक्खू णावं परियट्ट परियट्टावेद परियट्ट आटु जो भिक्षु नाव को अदल-बदल करता है, करजाता है और देज्जमाणं तुम्हा दुल्हत वा साइज्जा । अदल-बदल की हुई नाव दे तो उस पर बैठता है. बैठने के लिए कहता है या बैठने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खूणावं अच्छज्जं अणिसिदै अभिहर आहट्ट जो भिक्षु छीनकर ली हुई, थोड़े समय के लिए लाकर दी हेज्जमाणं दुरूहा दुल्हतं वा साइजइ । हुई नाव पर बैटता है, बैठने के लिए कहता है या बैठने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू थलाओ णा जले उकसावेद उक्कसावेतं या जो भिक्षु स्थल मे नाव को जल में उतरवाता है या उतरसाइज्जा । वाने बाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू जलाओ गावं थले उपकसावेद उपकसावेतं जो भिक्षु जल से नाव को स्थल पर रबबाला है वा रग्ववाने साइल्जाइ। वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू पुण्णं णावं उस्मिन्च जस्सिच्चेतं वा साइज्जइ। जो भिक्षु पानी से पूर्ण भरी नाव को खाली करवाता है. खाली करवाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू सणं णावं उप्पिलाचे उप्पिलावत वा साइज्जइ। जो भिक्षु कीचड़ में फंसी नाय को निकलवाता है, निकलवाने वाले का अनुमोदन करता है । जे भिक्खू उबढ़ियं णा उत्तिर्ग वा उवगं वा आसिचमाणि जो भिक्षु बंधी हुई नाब में छिद्र से पानी आता हुआ देखकर वा उवरुवार या कलावैमाणि पेहाए हत्येण वा पाएण अथवा शनैः शनैः डुबती हुई देखकर (छिद्र को) हाथ से, पैर से, वा असिपसमा वा कुसपत्तण बा मट्टियाए वा चलेण वा असोपत्र से, कुसपत्र से, मिट्टी से या वस्त्र से बन्द करवाता है, पतिपिहेद पडिपिहेंतं पा साइल्जाइ । वन्द करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू परिणावियं कटु णावाए दुलहा दुल्हतं वा जो भिक्षु नाविक बदल करके नाब पर बैठता है, बैठने वाले साहजह। का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू उगार्मािण वा नावं अहोगामिणि वा नावं जो भिक्षु उध्वनामिनी नाव पर या अधोगामिनी नाव पर दुरूहह दुरूहेंत वा साइज्जइ । बैठता है या बैठने का अनुमोदन करता है। जे मिक्ल जोयणवेलागामिणि या अवजोयणवेलागामिणि वा जो भिक्षु एक योजन तक प्रवाह के सन्मुख जाने वाली नावं बुरुहह दुरूहंत वा साइजह । अथवा अर्धयोजन तक प्रवाह में नीचे की ओर जाने वाली नाव पर बैठता है या बैठने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू नावं आफ सेइ आकसावेइ. आकसावेत या जो भिक्षु नाव' को खींचता है. खिचदाता है और खीचने वाले साइज्जइ। का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू नावं खेवेह सेवावेद खेवावेत या साइज्जह । जो भिक्षु नाव को खेता है. खिवाता है और खेने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू गाव रन्जुणा वा कढेण वा कड्ढाइ कड्तत वा जो भिक्षु नाब को रज्जु से या काष्ट मे निकालता है. साइज्जह । निकलवाता है या निकालने वाले का अनुमादन करता है । जे भिक्खू गावं झलितएण वा पफिडएण वा बसेण वा जो भिक्षु (नार को) नौका दंड में नौका बनाने के उपकरण पलेण वा चाहेइ बाहेत वा साइज्जन । से. पाय से या बलने से चलाता है, नलाने को कहता है. चलाने वाले का अनुमोदन करता है। ने भिक्ख नावाओ उदगं भायण वा पडिग्गहणेण वा मत्तेण जो भिक्ष नाब में ने भाजन द्वारा, पात्र द्वारा या बतन द्वारा वा माया उस्सित्रणेण वा उस्सिचद उस्सितं साइज्जए। पानी निकालता है, निकलवाता है या निकालने वाले का अनु मोदन करता है।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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