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वरणानुयोग
सोमारक्षक को वश में करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्र
पूत्र ७२०-७२२
सीमारक्खगयसीकरणाईणं पायच्छित्त सुत्ताई
सीमा-रक्षक को वश में करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्र७२०. (जे भिक्खू सीमारक्सिय असीकरइ अत्तीकरत या साइजह । ७२०. (जो भिक्षु सीमा-रक्षक को वश में करता है, कराता है,
करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू सीमारविषयं मचीकरेल अच्चीकरतं का साइजह जो भिक्षु सीमा-रक्षक के गुणों की प्रशंसा करता है, कर
वाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। में भिक्खू सीमारपिवयं अत्यीक रेइ अत्थोकरेंस वा साइना) जो भिक्षु सीमा-रक्षक से प्रार्थना करता है, करवाता है,
करने वाले का अनुमोदन करता है।) सं सेवमाणे यावग्मद मासिवं परिहारद्वाणं उम्घाइयं ।
उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) –नि.उ.४, सु. १६, १७, १८ आता है। देसरक्खगवसीकरणाईणं पायच्छित्त सुत्ताई
देश-रक्षक को वश में करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्र-- ७२१. जे भिक्खू वेसारविषय बत्तीकरेह बत्तीकरत वा साइज्जई। ७२१, जो भिन्नु देश-रक्षक को वश में करता है, करवाता है,
करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू देसारक्खियं अस्वीकरेइ अच्चीकरेंत वा साइजा। जो भिक्षु देश-रक्षक के गुणों की प्रशंसा करता है, करवाता
है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू देसारविखयं अत्यीकरेइ अत्यौकरेंत वा साइज्जए। जो भिक्षु देश-रक्षक से प्रार्थना करता है, करवाता है,
करने वाले का अनुमोदन करता है। सं सेवमाणे मात्र मासिमं परिहारद्वाण उपाइय। उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि०३०४, सु.५, ११, १७ आता है। सब्बरक्खगवसीकरणाईणं पायच्छित्त सुताई-
सर्व-रक्षक को वश में करने आदि के प्रायश्चित्त सूत्र-- ७२२. जे भिक्खू सम्यारक्षियं अतीकरेइ अतीकरतं वा साहज्जा। ७२२. जो भिक्षु सर्व-रक्षक को बश में करता है, करवाता है,
करने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू सवारविषयं अच्चीकरो अस्वीकरतं वा साहज्जा। जो भिक्षु सर्व-रक्षक के गुणों की प्रशंसा करता है, करवाता
है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिषखू सव्वारविषय अत्यौकरेह अस्यीकरत वा साइन्जा। जो भिक्षु सर्व रक्षक से प्रार्थना करता है, करवाता है,
__करने वाले का अनुमोदन करता है । त सेवमाणे आवज्जद मासिय परिहारहाण सम्घाइयं । उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि.उ. ४, १.६,१२,१८ आता है।