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________________ ४६. चरणानुयोग मुख आवि से चौगा जसो म्यान निकालने के प्रायश्चित्त सत्र सूत्र ७०६-७१. मुहाइणाविणियं वायणस्प पायच्छित मुत्ताई मुख आदि से बीणा जैसी ध्वनि निकालने के प्रायश्चित्त सूत्र७०६. भिक्खू मुह-वोणियं वाएइ, वाएंतं वा साइज्जा। ७०६. जो भिक्षु मुंह से बीणा बजाता है बजाता है. बजाने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू वंत-बोणियं शएइ, बाएतं वा साइज्जा । ___ जो भिक्षु दांतों से बीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है । मे भिक्खू उटु-वीगियं वाएइ, वाएतं वा साहज्जह । जो भिक्षु होठों से दीणा बजाता है, वजवाता है, बजाने चाले का अनुमोदन करता है। से भिवषु नासा-वीणिय वाएड पाएंत या साइज्जइ । जो भिक्षु नाक से वीणा बजाता है। बजबाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिमसू कक्स-बोणियं वाएइ, वाएत वा साइज्जन । जो भिक्षु कांख से वीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू हाथ-धीगियं बाएइ, वाएतं वा साइज्जद । जो भिक्षु हाथ से वीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। मिक्खू मह-बोणियं वाएइ, वाएंतं वा साइजइ । जो भिक्षु नयों से दीणा अजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिळू पस-बीणियं वाएइ, बाएंतं वा साइजह । जो भिक्ष पत्तों से वीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू पुष्फ-वीणियं बाएइ, वाएंतं पा साहज्जा। जो भिक्ष पुष्पों से वीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। - जे भिमबू फल-वीगियं बाए, बाएंत वा साइजह । जो भिक्षु फल से बीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। - जे भिवा-यीय-धीणियं वाएह, वाएंतं वा साहज्जइ । जो भिक्षु बीज से वीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। में मिक्स हरिय-वीगियं वरएइ, वाएतं का साइज्जड । जो भिक्षु हरी वनस्पति से बीणा बजाता है, बजवाता है, बजाने वाले का अनुमोदन करता है। सेवमाणे आवज्जई मासिय परिकारद्वाणं जग्घाइयं । उसे मासिक उपातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. उ. ५, सु. ४५-५६ आता है। बप्पाइ अवलोयणस्स पायच्छित्तसुत्ताई वप्रादि अवलोकन के प्रायश्चित्त सूत्र७१०. से भिक्खू वम्पाणि श-जाव-सरसरपंतियाणि वा चक्षुरसण १०. जो भिक्षु प्राकार-याद-तालाबों की पंक्तियों को 'पग्यिाए अभिसंधारे अभिसंधारेत वा साइजह । देखने के संकल्प से जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू कछाणि वा-जाव-पत्यय-विचुग्गाणि वा क्ल- जो भिक्षु कच्छ-थावत्-पर्वत दुर्ग को देखने के संकल्प से बसग पडियाए अभिसंधारे। अभिसंधारेत वा साइज्जद। जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू गामाणि वा-जाव-सम्णिवेताणि वा चनखुवंसण- जो भिक्षु ग्राम-यावत्-सग्निवेश को देखने के संकल्प से पडियाए अभिसंधारेच अमिसंधारतं वा साइज्जद । जाता है, जाने के लिए कहता है, जाने वाले का अनुमोदन करता है।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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