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सूत्र ७१३-७१५
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गन्ध सूचने का प्रायश्चित भ
तं सेवमाने आज मासि परिहाराणं चाइ - नि. उ. २, सु. ६ आता है।
गंध-जण पायच्छित सुत्तं
मन्ध सूचने का प्रायश्चित सूत्र
७१३. जे भिक्खू अनिलपट्टियं गंध जिग्बद, जिग्यं वा साइज्जइ । ७१३. जो भिक्षु अचित्त प्रतिष्ठित गन्ध सूषता है, सुवधाता है, सूने वाले का अनुमोदन करता है।
अप्प विडोवगेण हत्थाइपोषण पायच्छित सुतं -- ७१४. जे भिक्खू लहुसन सो मोषविशेण वा उसिणोगवियडेग या हत्याणि या पायाणि वा कण्णाणि वा अच्छिणी वा वा नहाण या मुहं वा उच्छोलेन्ज वा पच्छोलेज्ज वा उच्छतं वा पच्छोलतं वा साइज्जइ ।
तं सेवमाणे आवज मासियं परिहारद्वाणं अणुग्धाइयं । नि. उ. २, सु. २१ को उहल्ल पडियार सच्चकरजकरणस्स पायच्छित सुताई
७१५. जे भिक्खू को जहल्ल- वडियाए अण्णयरं तपाणजाई १. तण पास था. २. मुंज-पासण वा ३ कटु-पासएण वा. ४. सम्म पासएण बा. ५. बेल- पासएन वा ६. रज्जु-पासएण खा, ७. सुप्त - पासएण वा बंद वा साइज्जइ ।
चारित्राचार
के भिक्खू कोहस्त-महिमा समासि वावरिय मालियं वा पिवच पिनद्धं वा साइज ।
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चिक्को उहलवाहाणि वा २. लोहाणि वर ३ तज्यलोहाणि वा ४. सोसलोहाणि वा
उसे मासिक उद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्विस)
अप अत्ति जल से हाथ धोने का प्रायश्चित सूत्र७१४. जो भिक्षु अल्प अचित्त शीत जल या अल्प मचित्त उष्ण जल से हाथ, पैर, कान, आँख, दाँत, नख या मुंह (आदि) को प्रक्षालित करता है. धोता है प्रक्षालित करवाता है, धुलवाता है. या प्रक्षालन करने वाले का, धोने वाले का अनुमोदन
७१५. जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से किसी एक बस प्राणी को (१) तृण के पास से. (२) मुंज के पास से (३) काष्ट के पास से, (४) चर्म के पास से, (५) क्षेत्र के पास से, (६) रज्जु के पास से, (७) सूप के पास हे बांधता है. बंधवाता है बांधने वाले का अनुमोदन करता है ।
परिवार अमर सपा
जे भिक्खू को पास
जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से किसी एक यस प्राणी जाति वा जाव सुतपासण वा बल्ल मुड़ सुतं वा को तृण पास से पावत् सूत्र पास से बँधे हुए को मुक्त करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है ।
साइज ।
जे भिक्खू को उहल्ल-पडियाए १. तणमालियं वा २. मुंजमालियं वा २. मालियं वा ४ मणमालियं वा ५. डिमालिया ६. अंतमालियं वा ७ सिगमालिय वा. ८.१० रुमाल वा, ११ मालिया, १२. पुष्कप्रालि वा १३. फलमालियं वा १४ बोयमालियं वा १५. हरियमालियं या करेद्र, करें या साइज्जह
जे भिक्खू कोडहरुल-पडियाए तण-मालियं बा जाव- रिय मरलियं धरेद्र घरतं वा साइज्जह |
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है.
उसे मासिक उद्घानिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) आता है।
कौतुहल के संकल्प से सभी कार्य करने के प्रायश्चित्त सूत्र --
जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से (१) तृण की माला, (२) मूंज की माला ( ३ ) भीड की माला (2) मदन की माला, (५) पीठ की माला. (६) दंत की माला. (७) सींग की माला, ( २ ) की माता (६) की मात्रा (१०) काष्ट की माला. (११) पत्र की माला, (१२) पुष्प को माला, (१३) फल की माला, (१४) बीज की माला, (१५) हरित की माला करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है।
जो भिक्षु कौतूहल के संकल्प से तृण की माला - यावत्हरित की माला धरता है धरवाता है. धरने वाले का अनुमोदन करता है ।
जो भिक्षु कोतुहल के संकल्प में तृण की माला यावत्हरित की माला पहनता है, पहनावा है, कानु मोदन करता है ।
जो भिक्षु कौन के संकल्प से (१) अबोहर (२) तांब लोहा, (३) त्रपु लोहा, (४) सीसक लोहा, (५) रूप्य लोहा,