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________________ सूत्र ७०0-905 गायन आदि करने का प्रायश्चित सूत्र चारित्राचार rk तं सेवमाणे भावजा चाउम्मासियं परिहारदामं उघायं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. उ. १७, सु. १५१ आता है। गायनाइ करणस्स पायच्छित सुत्तं गायन आदि करने का प्रायश्चित्त सूत्र७०७. ने पिसू १ गाएन वा २. हसेज्ज वा, ३. बाएज्न वा ७०७, जो भिक्षु (१) गाये, (२) हँसे, (३) वजाये, (४) नाचे, ४. परवेज वा. ५. अमिणएज्ज वा ६. हय-हेसियं वा, (५) अभिनय करे, {E) घोड़े की आवाज, (७) हाथी की गर्जना, ७. हत्यिगुलगुलाइयं वा, ८. उरिक सोहणायं वा करेइ और () सिंहनाद करता है, करवाता है, करने वाले का अनुकरत का साइज्जा। मोदन करता है। सं सेवमाणे आवज चाउम्मासियं परिहारहाणं उपाय। उसे चातुर्गासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि.उ.१७, सु. १३४ आता है। महाइणावीणियंकरणस्स पायरिछत्त सुसाइं--- मुख आदि से बीणा जैसी आकृति करने के प्रायश्चित्त सूत्र७०८, भिक्खू बह-वाणियं करे हरे बा साहज्जा। ७०८. जो भिक्षु मुंह को वीणा (वाद्य ध्वनि) योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्खू संत-वीणियं करेइ, करेंतं वा साइज्जन । ___ जो भिक्षु दांतों को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू उटू-वीणियं करेह, फरस वा साइजह । जो भिक्षु होठों को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है । से भिक्खू नासा-बोणियं करेइ, करेंतं वा साइना । जो भिक्षु नाक को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। के शिम कपख-बोणिय करे, करेंत या साइजाद । जो भिक्षु कांख को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। मे भिमल हस्प-वीणियं करेइ. फरेंसं वा साइज्जा । ___ जो भिक्षु हाथ को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। मे भिक्यू ना-बोणियं करे, करेंत या साइज्जइ । ___ जो भिक्षु नखों को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिखू पत्त-योणिय करेड, करें या साइजह । जो भिक्षु पतों को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने बाले का अनुमोदन करता है। जे भिखू पुष्प-चोमियं करे, करतं मा माइज्म । ___ जो भिक्षु पुष्प को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। ने भिक्खू पल-चीगिय करे, करता साजा। जो भिक्षु फल को बीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। मे भिवू धोय-बीजियं करेग, करेंतं वा साहना । जो भिक्षु बीज को वीणा के योग्य करता है, करवाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिरखू हरिय-योगिय कफ, करेंतं वा साइजद। जो भिक्षु हरी वनस्पति को वीणा के योग्य करता है, कर वाता है, करने वाले का अनुमोदन करता है। स सेवमाणे आवमा मासिकं परिहारहाणं नाबाहय । ___उरो मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. 3. ५, सु. १६४७ आता है।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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