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धरणामुयोग
मयुन सेवन के संकल्प से परस्पर उतरोष्ठ परिफर्म के प्रायश्चित्त सूत्र
त्र ६०८-६१०
उल्लोलतं या, उभ्यत वा सारज्जा।
उबटन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का
अनुमोदन करे। जे भिक्खू माजम्मामरस मेहपडियाए अण्णमण्णस्स उ8- जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐमो स्त्री
से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दुसरे के होठों कोसीओचवियोण वा, सिगोवगविपक्षण षा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलेन्ज बा, पधोएग्ज या,
धोये, बार-बार धोये,
धुलबाबे, बार-बार घुलवावे, उच्छोलत वा, पचोएत वा साइजह।
घोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे। जे मिक्यू माजगामस्स मेहुणवडियाए भण्णमण्णस्स उ8- जो भिक्ष, माता के समान हैं इन्द्रियां जिसकी (एसी स्त्री
से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के होठों कोफूमेज वा, रएज्ज वा,
रंगे, बारम्बार रंगे,
रंगवावे, बार-बार रंगवावं, फूमतं वा, रएतं वा साइग्जद।
रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । त सेवमाणे आपज्जइ चाउम्मासि परिहारट्ठाण अणुयाइयं । उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. ७, सु. ४८-५३ आता है। मेहकप्रसाए .अण्णमा-उसराडाइ रोम-परिकमस्स मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर उत्तरोष्ठ परिकर्म के पायच्छित्त- सुत्ताई--
प्रायश्चित्त सूत्र६०६. जे मिक्णू माउमामास मेहुणवडियारा अण्णमण्णस्स दोहाई ६.. जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियां जिसकी (ऐसी स्त्री उसरोटु रोमाई
से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के लम्बे उत्तरोष्ठ
गेमों को (होठ के नीचे के रोम) कपेज्ज वा, संठवेज वा,
काटे, सुशोभित करे.
कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्त बा, संठवेत वा साहजह ।
काटने वाले का, मुशोभित करने वाले का अनुमोदन करें। (जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहरियाए अण्णमण्णस्स दोहाई जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियों जिसको (एमी स्त्री णासा-रोमाह
से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के नाक के सम्बे
रोमों काकम्येन वा, संठवेन्ज पर,
काटे, सुशोभित कर,
कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्तं वा, संठवतं वा साइज्बइ।)
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। तं सेवमाणे भावनइ चाउम्मासिय परिहारट्टाग अग्पादयं । उमे चातुर्मामिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चिस)
-नि. उ. 5, सु. ५४ आता है। मेहुणवडियाए अण्णमण्ण-दंतपरिकम्मस्स पायच्छित. मथुन सेवन के संकल्ल से परस्पर दन्तपरिकर्म के प्रायसुत्ताई
श्चित्त सूत्र६१०. में मिक्खू माउग्गामस्स मेहगजियाए जाणमण्णस्स हत- ६१०. जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री
से) मैथुन सेवन का मकल्प करके एक दूसरे के दांतों कोआघसेज्जना, पघंसेज्ज बा,
घिसे, बार-बार घिसे,
घिसवादे, बार-बार विसवावे, आघससं वा, पघंसतं वा साइजह ।
घिसने वाले का, बार-बार घिसने वाले का अनुमोदन करे।