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________________ सूत्र ६१०-६११ भिक्खू माउणामहल मेहवडियाए अण्णमणस्स दंते छापा उच्छ था, धोएं दा साह मिव माग्गामसमेतृणवदियाए अणिमण्णस्स दंते बाबा, कूतं बार वा साइज । सेवामा मैथुन सेवन के संकल्प से अभिपरिकर्म के प्रायश्चिस सूत्र परिहाराणं - नि. उ. ७, सु. ४५-४७ मेहुण्यवडियाए समय अच्छी परिकम्मस्स पायच्छित सुताई आमज्जेज्ज या पमज्बेन वा. आमज्जत था, पमज्जेत या साइज्जद्द | - जे भिक्खू माजग्यामल्स मेहुणवडियाए बण्डमणस्स अच्छोणि संबाज मा परिमा पलिया जे भिक्खू माउत्पामस्त मेहूणडियाए अन अच्छी नागववा वावा. ६११. माउागामस्त मेहगवडपाए मण ६११. जो ममता के समान है इन्द्रियां जिसकी ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे की आँखों का मार्जन करे मन करे 1 वारिश्राचार [४११ मक्तं वा मिलितं वा साइज । ये चिक्कू माउयामरस मेहुणवडियाए अण्णमण्णस अच्छी लोण वा जाव-बण श उल्लोसेक्न वा जव ज् बा, उसोत वा बट्टा साइज जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियाँ जिसकी (मी स्त्री से) मैथुन सेवन का सकल्प करके एक दूसरे के दांतों कोधोये, बारम्बार धोये, धुलवावे, बार-बार घुलवावे, धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के दांतों को रंगे, बारम्वार रंगे, रंगवावे, वार-बार रंगवावे, रंगने वाले का बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित ) आता है । मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर अक्षिपरिकर्म के प्रायशिवसूत्र- मार्जन करवावं, प्रमार्जन करवावे. मार्जन करने वाले का प्रमार्जन करने का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे की आंखों कामर्दन करे, प्रमर्दन करे, मर्दन करवाने प्रम करवाने, मर्दन करने वाले का प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसको (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे की आँखों परतेल- पावत् — मक्खन, मले, बार-बार मले, मलबावे, बार-बार मलवावे. सलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियाँ जिसकी ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे की आँखों पर लोध यावत् वर्ण का, उबटन करे, बार-बार उबटन करे, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे, उबटन करने वाले का बार-बार उबटन करने वाले का अनुमोदन करे ।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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