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________________ सूत्र ६०४-५.५ मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर परों के परिवर्मों के प्रायश्चित्त सत्र चारित्राचार ४०७ जे मिक्वू माजग्गामस्स मेहुणवडियाए मग्णमपणस्स जो भिन माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से मैयुन सेवन मा संकल्प करके एक दुसरे केकायाओ सेयं वा, जल्लं वा, पंकं या, मर्म वा, शरीर के स्वेद (पमीना) को, जन्न (जमा हुआ मैल) को. पंक (लगा हुश्रा कीचड़) को, मल (लगी हुई रज) को, नोहरेज्ज वा, विसोहेज वा, दूर करे, शोधन करे, दूर करवावे, गोधन करवावे, जौहरतं दा, विसोत वा साइजाइ । दुर करने याले का, शोधन करने वाले का अनुमोदन करे । सेवमाणे आवाज चाउम्मासि परिहारटागं अणुग्धाइयं । उसे चातुमामिक अनुपातिक परिहारस्थान :प्रायश्चित) -नि. उ. ७, सु. ६४-६५ आता है। मेहुणवडियाए अण्णमण्ण पायपरिकम्मस्स पायच्छिस मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर पैरों के परिकर्मों के सुत्ताई प्रायश्चित्त सूत्र६०५. जे मिक्खू माउरगामस्स मेहमवशियाए अण्णमण्णस्स पाए- ६०५. जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियो जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन मेवन का संकल्प करके एक दूसरे के पैरों का - आमज्ज वा, पमम्जेज्न वा, मार्जन करे, प्रमार्जन करे, माजन करवावे, प्रमार्जन करवावे, मामजतंबा, पमजंतं वा साइजह । मार्जन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन करे। मे भिमखू माजग्गामस्स मेहडियाए अण्णमण्णस्स पाए-- जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेबन का संकल्प करके एक दूसरे के पैरों कासंबाहेज्ज वा, पलिमईज्ज वा, मर्दन करे, प्रमर्दन करे, मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे, सबाहेंत बा, पलिम त वा साइम्जा । मदन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन करें। जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहडियाए अण्णमण्णस्स पाए- जो भिक्ष माता के ममान हैं इन्द्रियां जिसकी (ऐसी स्त्री से) मथुन सेवन का संकल्प कर एक दूसरे के पैरों परतेल्लेग वा-जान-णवणीएण बा, तेल, -यावत्-मक्खन, माखेज वा, मिलिगेज वा, मले, बार बार मले, मन बावे, बार-बार मलवावे, मक्खेत वा, मिलिगंतं वा साइज्जन । मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करें । जे भिक्खू माउग्गामस्म मेहुणवरियाए अण्णमण्यास पाए- जो भिक्ष माता के समान है इन्द्रियो जिसकी (ऐसी स्पी से) मैयुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के पैरों परलोण वा-जाव-वण्णेण बा, लोध-यावत् -- वर्ण का, उहलोलेज बा, जम्बट्टज वा, उबटन करे, बार-बार उबटन करे, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे, उस्लोसतं वा, उम्बट्टस वा साइजद । उबदन करने वाले का, बार-बार खबटन करने वाले का अनुमोदन करे। जे मिक्खू माउरणामस्स मेहुणवडियाए अण्णमग्णस्स पाए- जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐमी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के पैरों कोमोमोवग-बियडेण बा, उसिपोरग-वियोणबा, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से,
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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