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________________ ४०६] चरणानुयोग मेथुन सेवन के संकल्प से परस्पर मल निकालने के प्रायश्चित्त सूत्र सत्र ६०३-६०४ संबाहेज्ज वा. पलिम जवा मर्दन करे, प्रमर्दन करे, मर्दन करबावे, प्रमर्दन करवाये, मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन संबात वा, पलिमहत वा साइज्जत । जे मिक्खू माजग्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस कार्य- जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के शरीर परतेल्लेण वा-जान-गवणीएण वा, तेल. यावत्-मक्खन, माशेज या, सिलिगेज था, मले, बार-बार मले, मलवावे, बार-बार मसवावे, मखेत वा, मिलिगेंतं वा साइज्ज। मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन कर । जे मिक्स्यू माउग्गामस्स मेहुगडियाए अण्णमणस्म काय- जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियां जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूमरे के शरीर परलोदेण वा-जाब-वणेण वा, लोध-यावत् - वर्ण का, उस्लोसज्ज वा, उध्वट्ट ज्ज वा. उबटन करे, बार-बार उबटन करे, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे, उस्लोलतं का, उम्बट्टतं या साइजा। उबटन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू माजग्गामस्स मेहुणवशियाए अण्णमण्णस्स कार्य- ___ जो भिक्षु, माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के शरीर कोसोओग-वियोण वा, उसिप्पोदग-वियोण वा, अचित्त शीत बल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलेज्ज वा, पधोएज्ज बा, धोये, बार-बार धोये, धुलावे, बार-बार धुलावे, उनछोलेंत वा, पधोएत वा साइकमा । धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे। जे भिखू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए मणमयस्स कार्य- जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिमकी (ऐसी स्त्री से) मथुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के शरीर कोफूमेन पा, रएज्न वा, रंगे बार-बार रंगे, रंगवावं. बार-बार रंगवावे, फूमतं वा, रएंत वा साइज्जा । रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे। सं सेवमाने भावना वाजम्माषियं परिहारद्वाण अणखाइ। उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. 3. ७, सु. २०-२५ आता है। मेहुणवडियाए अग्णमण्णस्स मलणिहरण पायपिछत्त मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर मल निकालने के प्रायसुत्ताइ-- श्चित्त सूत्र६०४. जे मिक्खू माडग्गामस्स मेहणवडियाए अगमण्णस्स- ६.४, जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिमकी (एसी स्त्री से) मधुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे कोअन्छि-मलं वा, कण्ण-यलं वा, वस-मलं बा, नह-मसंगा, आंख के मैल को, कान के मैल को, दांत के मैल को, नख के मैल को, नीहरेज वा, विसोहेम्ज वा, दूर करे, शोधन करे, दूर करवावे, शोधन करवावे, नीहरते वा, विसोत वा सहमह । दूर करने वाले का, शोधन करने वाले का अनुमोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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