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सूत्र ६.०६.३
मैथुन सेवन के संकल से केश परिकर्म का प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
[४०५
कप्पज वा, संठवेज वा,
काटे, सुशोभित करे,
कटवावे, सुशोभित करवावे, कापत पा. संठवतं या साइजद ।
काटने वाले का, गुगोभित करने वाले का अनुमोदन करें। त सेवमाणे आचाई वाम्मासिय परिहारद्वागं अणुग्धाइयं । उसे चातुर्मामिक अनुदद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि, उ. ६, मु. ७२-७३ आता है। मेहणडियाए केस-परिकम्मरस पायच्छित्त सत्तं - मथुन सेवन के संकल्प से केश परिकर्म का प्रायश्चित्त
सूत्र६०१. (जे भिक्ख माउग्गामस्स मेहगडियाए अप्पणो दीहाई ६०१. जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसको ऐसी स्त्री केसाई
से) मेथ न सेवन का मंकल्प करके अपने लम्बे केशों कोकापेज या, संठवेजिया,
काटें, मुशोभित करे,
पटवावे, सुशोभित करवावे, कात वा, संवतं वा साइजह ।
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करें। तं सेवमाणे आवाइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्धाइयं ।) उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ.६, मु. ७३ आता है। मेहणवडियाए सीसवारिय करणस्स पायच्छित्त सुत्त- मैथुन सेवन के संकल्प से मस्तक दुकने का प्रायश्चित्त
मूत्र३०२. अ मिक्यू माजग्गामस्स मेहगवडियाए गामाणुगामं तूइज्ज- ६०२. जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (एसी स्त्री माणे--सीसवारियं
ने) : रोजा काका दरले प्रामानुग्राम जाते हुए
मस्लक कोकरो, करेंसं वा साइजा ।
ढके, ढकवावे, उकने वाले का अनुमोदन करें। तं शेषमा मात्रम्मा चाउम्मासिस परिहारहाण अणुग्धाइयं। उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
–नि. उ. ६, मु. ७६ आता है।
मथुन के संकल्प से परस्पर परिकर्म के प्रायश्चित्त
मेहणवडियाए अण्णमण्णकायपरिकम्मस्स पायच्छित मैथुन सेवन के संकल्प से परस्पर शरीर के परिकर्मों के सुत्ताई
प्रायश्चित्त सूत्र६०३. जे भिमखू माजग्गामस्स मेहुणबडिपाए अण्णमणस कार्य-६०३. जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियाँ जिमकी ऐसी स्त्री
से) मैथुन सेवन का संकल्प करके एक दुसरे के भरीर काआमजेज्जया, पमज्जेत वा;
मार्जन करे, प्रमार्जन करे,
मार्जन करावे, प्रमार्जन करवाने, आमजतंबा, पमम्जसं पा साइजह ।
मार्जन करने वाले का, प्रमाणन करने वाले का अनुमोदन
करे। जे शिमच माडम्गामस्स मेणवडियाए अण्णमण्णस कार्य- जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से)
मैयुन सेवन का संकल्प करके एक दूसरे के शरीर का