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________________ सूत्र ५६७-५१८ मंधन सेवन के संकल्प से दांतों के परिकर्म करने के प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार : मेहणपडियाए दंतपरिकम्मस्स पायच्छित सूत्ताई- मैथन सेबन के संकल्प से दांतों के परिकर्म करने के प्राय श्चित्त सूत्र५६७ जे मिक्खू पावणामस्स मेहगवटियाए अप्पणी दंते- ५६७. जो भिक्ष, माता के ममान हैं इन्द्रियां जिमी (रोमी स्थो में) मैथुन सेवन का संकल्प करतं अपने दांतों कोआधसज्ज वा. पघंसेग्ज बा, घिसे, बार-बार घिमे, घिमनावे, बार-बार घिसवावे, आघसतं वा, पसंत श साइजह । घिसने वाले का, बार-बार बिमने वाले का अनुमोदन करे । मे भिवडू माउग्गामस्स मेहणवडियाए अपणो बते जो भिक्ष माता के ममान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐमी स्वीसे) मैथुन सेनन का संकल्प करके अपने दौतों को-- जम्छोलेग्ज या, पधोएज्ज वा, धोये, बार-बार धोये, धृलनावे, बार-बार धलवावे, डोलतंबा, एक था जहां धोने वाले का, बार-बार धोने वाने का अनुमोदन करे। से मिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवरियाए अपणो दंते । जो भिक्ष माता के ममान हैं इन्द्रियाँ जिमकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन संवन का संकल्प करके अपने दांतों कोफूमेज या, रएज्ज वा, रंग, बार-बार रंगे, रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूतं वा, रएंतं वा सादज्जड़। रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । तं सेवमाणे आवग्ना चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइये। उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. ज. ६, सु. ५५-५७ आता है । मेहुणवडियाए चक्नुपरिकम्मस्स पायच्छित्त सुसाइ -- मैथुन सेवन के संकल्प से आँखों के परिकर्म करने के प्राय श्चित्त सूत्र - ५६८ जे भिक्खू माजग्गामस्स मेनुणवाडयाए अप्पणो अच्छीणि- ५६८. जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपनी आँखों काआमग्ण या, पसज्ज वा, मार्जन करे, प्रमार्जन करे, माजन करवावे, प्रमार्जन करत्रावे, आमजस वा, पमजतं वा साइम्मद । मार्जन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन करे। मंभिक्खू माडग्गामस्स मेडियाए अपणो अच्छीणि- जो भिक्ष माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपनी आँखो कासंबाहेज्ज बा, पतिमहज्ज बा, मदन करे, प्रमदन करे, मदन करवावे, प्रमर्दन कर.बावे, संघात वा पलिमहतं वा सादरना। मर्दन करने वाले का, मदन करने वाले का अनुमोदन करें। जमिश्बू मागामस्स मेहडियाए अप्पगो अनछोणि- जो भिक्ष माता के समान है इन्द्रियाँ जिमकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपनी आँखों परतेल्लेण वा-जाव-गवणोएष वा, तेल-यावत् ---मक्खन, मलेग्ज वा, मिलिगेज वा, मले, बार-बार मले, मलवावे, बार-बार मल नावे, मस्त वा, मिलिगेत वा साहजह। मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करें। मिासू मारनामस्स मेतृणज्यिाए अपणो अछोणि जो भिक्ष माता के समान हैं इन्दिया जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपनी आंखों पर
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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