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________________ सूत्र ५६४-५६५ कल्पेन बा, संठवेज्ज था. कप्तं वा संहतं वा साइज । जे मिल माणामरम मेहजनवाए अप्पो दोहाई रोमाई कपेज वा संठवेल वा पेतं वा संठवेतं वा साइज । जे भिक्खू मागास मेहुणवडियाए अपणो दीहाई मंसुरोपाई कप्पेज्ज वा संठवे वा, कप्तं वा संठवेत या साइज्जइ । जेमिमायामरस मेनुगवडियाए अध्यणो बीहाई स्थि रोमाई कपेज वा संठवेज्ज वा, सेवन के संकल्प से होठों का परिकर्म करने के प्रति सूत्र कप्पेतं वा, संठवेतं वा साइज्जइ । जे भिक मागमस्स नेणवडियाए अध्यणो वीहाई चक् रोपाई 1 द कथा, संठतं वा साइज्जइ । तं सेवमाने उम्मतियं परिहारद्वाजं अनुयाइय -नि. उ. ६, सु. ५०-५४ मेणवडियाए ओपरिकम्मल्स पायसि मुत्ताई २२. मामस्तमेडिया अपो आमखेज वा, पमज्जे वा आमतं वा पमजतं वा साइज्जइ । बाबा पलिया जे मागाम मेदुवडा अध्यणो उ - बाबा पति वा । चारित्रासार | ४०१ काटे, सुशोभित करें, कटवावे, मोतिक काटने वाले का शोभित करने वाले का अनुमोदन करें। जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने बगल (ख) के लम्बे रोमों को काटे, सुशोभित करें, कटवाये सुशोभित कर काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिनकी (ऐसी स्त्री से ) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने श्मश्रु (दाढ़ी मूंछ) के लम्बे रीमों को काटे, सुशोभित करे, कटवावे सुशोभित करावे, काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने मस्ति के सम्बे रोगों को काटे, सुशोभित करे, कटवावे, सुशोभित करावे, काटने वाले का मुभित करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से ) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने चक्षु के लम्बे रोमों कोकाटे, गोधित करे सुमित करावे, काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे । उसे चातुर्मासिक अनुद्घानिक परिहारस्थान (पति) आता है। मैथुनमेवम के संकल्प से होठों का परिकर्म करने के प्रायश्चित्त सूत्र - ५१५. जो भिक्षु मरता के समान हैं इन्द्रियों जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने होठो का मार्जन करे, प्रमार्जन करे, मान करवावे, प्रमाजैन करवावे, मार्जन करने वाले का, सर्जन करने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रिय बसकी (ऐसी स्त्री मे) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने होठों का - मर्दन करें, प्रमर्दन करें, मर्दन करवावे, प्रमर्दन करावे, मर्दन करने वाले का, प्रमदेन करने वाले का अनुमोदन करे ।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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