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पत्र ५७६-५८१
विभूषा के संकल्प से नखानों के परिकर्म का प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
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भिक्खू विभूसावडियाए अपणो पाये -
जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने पैरों कासंबाहेग्ज वा, पलिमहज्ज था,
मदन करे, प्रमर्दन करे,
मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे, संबात बा, पलिमहतं पा साइजह ।
मदन करने वाले का, प्रभदंन करने वाले का अनुमोदन करे। में भिक्खू विभूसावडियाए अपणो पावे
जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने पैरों परतेल्लेग बा-गाव-णवणीएग वा,
तेल-पावत्-मक्खन, मरटेज वा, मिलिगेज्ज था,
मले, बार-बार मले,
मलवाये, बार-बार मलवावे, मतं बा, भिलिगेतं वा साइना।
मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे। मे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो पावे--
जो भिक्ष विभूषा के सकल्प से अपने पैरों परलोण वा-जाव-वण्णण वा,
लोध्र-पावत्-वर्ण का, उल्लोलेज्न बा, उबट्टग्ज वा.
उबटन करे, बार-बार उबटन करे,
उबटन करवाचे, बार-बार उबटन करवाने, उल्लोलेंतं वा, उबट्टतं वा साइज्जद ।
उबदन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का
अनुमोदन करे। जे भिषय विभूसावडियाए अपणो पावे
जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने पैरों कोसीमोग-वियोण वा, उसिगोवा-बियोण वा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण' जल से, उनछोलेज बा, पधोएग्जा ,
धोबे, बार-बार धोवे,
धुलबारे, बार-बार घुलवावे, उण्डोलत था, पधोएंत या साइजह ।
धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । मे मिक्ल विभूसावडियाए अप्पगो पारे
जो भिक्षु विभूषा के संकल्प से अपने पैरों कोफूमेजबा, रएज्ज बा,
रंगे, बार-बार रंगे,
रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमेंतं वा, रयंत वा साइबइ।
रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । सं शेवमाणे मावज्जद चाउम्मासिय परिहारहाणे उग्धाइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि.उ. १५, सु. १००-१०५ आता है। विभूसावडियाए णहसिहाएपरिकम्मस्स पायच्छित सत्तं - विभूषा के संकल्प से नखानों के परिकर्म का प्रायश्चित्त
सूत्र५८०. जे मिक्ख विमुसाजियाए अपणो दोहामो नह-सिहाओ- ५८०. जो शिशु विभूषा के संकल्प से अपने लम्बे मखानों कोकप्पेज वा, संठवेज वा,
काटे, सुशोभित करे,
कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्तं वा, संठवतं वा साइना ।
काटने वाले का, मुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। सं सेवमाणे बावज्जा पाउम्मासियं परिहारट्टागं सग्याइन । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि.उ.१५, सु. १२५ आता है। विभुसावडियाए जंघाइरोमागं परिकम्मस्स पायच्छित्त विभूषा के संकल्प से जंघादि के रोमों के परिकर्म करने सुत्ताई
के प्रायश्चित्त सूत्र--- ५८१. मे भिक्खू विभूसावधियाए अप्पगोपीहा बंध-रोमाई-- ५८१. जो भिक्षु विभूषा के सकल्प से अपने अंधा (पिण्डली) के
लम्बे रोमों को