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चरणानुयोग
अश्यतीथिक या गृहस्थ के अक्षिपत्रों के परिकर्म का प्रायश्चित्त सूत्र
सूत्र ५७२ ५७४
से मिक्खू अण्णउस्मियस्स बा, गारस्थियस्स वा अपकीणि - जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ की आँखों परलोवेण वा-जाव-बण्ण बा,
लोध,--यावत् - वर्ण का, उल्लोले ऊज वा, सम्यग्ज वा,
उबटन करे, बार-बार उबटन करे,
उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे, जस्लोलेत या, उध्य से वा साइलाइ ।
उचटन करवाने वाले का, बार-बार उबटन करवाने वाले
का अनुमोदन करें। जे मिक्ख अण्णउत्थियस्स वा, गारस्थियस्स वा अच्छोणि- जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ की आंखों कोसौओवग-वियोण वा, उसिणोबग-वियडेण वा,
अचित्त शीत जल से या अचित उष्ण जल से, उच्छोलेज बा, पोएज्ज वा,
धोये, बार-बार धोये,
धुल बावे. बार-बार घुसवावे, उच्छोलेंतं वा, पधोएतं वा साइग्मइ।
धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे । मे मिल्लू अण्णस्थिय स्स वा. गारस्थियम्स या अचछोणि- जो भिक्षु अन्यतीथिक मा गृहस्थ की आँखों कोफूमेज्ज बा, रएज्ज या,
रंगे, बार-बार रंगे,
रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूत वा, रएंतं पा साइज्ज ।
रंगने वाले का बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । तं सेवमाणे आवज्जद चासम्मासियं परिहारट्ठाणं अगुग्धाइयं। उसे चातुर्मासिक अनुनातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि.उ. ११, सु. ५३-५८ आता है। अग्णात्थियस्स गारस्थियस्स अच्छोपत्तपरिकम्म - पाय- अन्यतीथिक या गृहस्थ के अक्षीपत्रों के परिकर्म का प्रायछिछत्त सुत्तं
श्चित्त सूत्र५७३. जे भिक्खू अण्णइस्थियस्स बा, गारस्थियस्स वा दोहाई ५७३. जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्य के लम्बे अक्षिपत्रों को
अच्छिपत्ताई कप्पेज वा, संठवेज्ज वा
काटे, सुशोभित कर, कटवाने, सुशोभित करवावे, कप्त बा, संठवेतं वा साइनह।
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। तं सेवमाणे आवग्जह बाउम्मासिय परिहारट्टाणं मणुग्धाइयं । उस चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
- -नि, उ. ११, सु. ५२ आला है। अण्णउत्थियस्स गारत्थियस्स भुमगाइरोम-परिकम्म पाय- अन्यतीथिक या गृहस्थ के भौंहों आदि के परिकर्मों के रिछत्त सुत्ताई
प्रायश्चित्त मूत्र-- ५७४. मे भिषलू अग्णउस्थियस वा, गारस्थियस्स वा वोहाई अमग- ५७४. जो भिल अन्वतीथिक या गृहस्थ के भौंहों के सम्बे रोमों रोमाई
कोकप्पेज वा, संठवेज्ज वा,
काटे, सुशोभित करे,
कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्पेतं बा, संठवेतं ना साज्जा ।
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। ने भिक्खू अग्णउस्थियस्स गा, गारस्थियास वा बौहाई पास- जो भिक्षु अन्यतीथिक या गुहस्य के पापर्व के लम्बे रोमों रोमा---
कोकप्पेज्ज, संठवेज्ज वा.
काटे, सुशोभित करे,
कटवावे, सुशोभित करवाके, कप्त वा संठवेतं वा साहज्जइ ।
काटने वाले का, सुशोभित करने वाले का अनुमोदन करे। सं सेवमाणे श्रावजापाजम्मासियं परिहारद्वाणं मणग्याइये। उसे शातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. ११, सु. ५६-६. आता है।