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________________ सत्र ५७०-५७२ अन्यतीथिक या गृहस्थ के दांतों के परिकर्मों के प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार [३८६ (जे भिक्डू अण्णा उत्यियस्स बा, गारत्मियस्स वा दोहाई णासा रोमाईकरपेज बा, संठवेज्म वा, (जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के नासिका के लम्बे रोमों को काटे, शोभित करे, कटवावे, गुशोभित करवावे, काटयाने वाले का, मुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन करे।) उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारमान (प्रायश्चित्त) कप्त वा, संठवतं वा साइज्जद।) तं सेबमाणे आवज शउम्मासिय परिहारहाणं अणग्याइयं । अण्ण उत्थियस्स गारस्थियस्स वंतपरिकम्म - पायच्छित तान्यतीथिक या गृहस्थ के दांतों के परिकों के प्रायश्चित्त सुसाई सूत्र५७१. जे भिक्षू अगउस्थियस वा, गारत्यियस्स वा बते- ५७१. जो भिक्षु अन्यतोथिक या गृहस्थ के दांतों कोआधंसेज या, पसेज्ज वा, घिसे, बार-बार बिसे, घिसनाव, बार-बार घिसवावे, आघसतंबा, पघंसतं वा सादज्जा । पिसवाने वाले का, बार-बार पिसवाने वाले का अनुमोदन करें। जे भिडू अण्णउत्थियस्स बा, मारस्थियस्स या ते .. जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के दांतों को-- उस्छोलेज्ज बा, पोएज्ज वा, धोए, बार-बार धोए, धुलवावे, बार-कार धुलवावे, अच्छोलतं वा, पधोएंतं वा साइन्नइ। धोने वाले का, कार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे। जे भिक्खू अग्णउत्थियस्स ला, गारस्थिपन्स वा रते जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ के दांतों को फूमेज वा, रएज्ज बा, रंगे, बार-बार रंगे, रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमेंतं का, रएंत या साइज्जइ । रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । तं सेवमाणे आवजह चाउम्मासि परिहारहाणं अगुग्धाइयं । उसे चातुर्मासिक अनुद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. उ. ११, सु. ४२.४४ आता है। अपण उत्थियस्स गारत्थियस्स चक्खु परिकम्म-पायच्छित्त अन्यतीर्थिक या गृहस्थ के आँखों के परिकर्मों के प्रायश्चित्त सूत्र५७२. जे मिळू अण्णउत्थि यस्स वा, गारत्मियस्स वा अग्लोणि- ५७२. जो भिन अन्यतीधिक या गृहस्थ की आँखों काआमज्जंज्ज वर, पमज्जंकवा, मार्जन करे, प्रमार्जन करे, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, आमज्जत वा, पमज्जंतं पा साजइ । मार्जन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन करे। से मिलू अण्णउत्थियरस का, गारत्थियस्स या अच्छीणि- जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ की आँखों कासंबाहेज वा, पलिमज्ज वा, मर्दन करे, प्रमदंन करे, मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे, संबाहेंतं वा, पलिमहत वा साइज्जइ। मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन करे। जे मिकल अग्णउत्यियस्स या, गारस्थियस्स वा अनछोणि- जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थ की आँखों परतेल्लेण वा-जाव-णवणीएण वा, तेल-पावत्-मक्खन, मक्खेज्ज बा, मिलिगेज वा, मले, बार-बार मले, मलवावे, बार-बार मलवावे, ममतं वा, मिलिगतं वा साहम्मद । मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे । सुत्ताई
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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