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५५६-५६१
निर्णय द्वारा निर्दयी के अक्षीपत्रों का परिकर्म करवाने का प्रायश्चित सूत्र
सेहलेच वर जाव णवणीएम वा,
मखाज्न बा, मिलिया वेज्ज वा
मक्ख पर मिलिगावेंतं वा साइज ।
जे णिग्गन्धे गिगीए अच्छीएवा गा लोण वा जाय वण्णेण वा, डल्लोलावे वर जिवा, बोलावेतमा उबट्टा था साइज
५६०.
यिनी मीि अस्था, वारणा, समय-वियन वा प्रसिणोगवियण या उच्छोलावे पर पधोयावेज्ज वा, उच्छति वा, पोयावेत या साइज 2
वीए अपन
अजपिए वा गारश्थिएण था, माथा रवाना.
मायारावासा
सं सेवमाणे अज्ज चाउम्मातियं परिहारट्ठा उध्धादयं । -- नि. उ. १७, सु. ११०-११५ गिंण णिगांथो अच्छपत्त परिक्रम्मका रावणस्स पाय सुख
हा पत्ताअग्णउस्थिर वा गारस्थिएण वा. कल्पावे वा दयावेज वा कप्पावैतं वर, संडवावेत या साज्जह |
येथमा आउन्यासियं परिहाराणं धायं । - नि. उ. १७, सु. १०६-११० विग्यंषेण गिग्यो भूमगाइरोमाणं परिकम्मकारावणस्स पायच्छित मुत्ताई
६१. ग्यन्वी सुभग-रोमाईअण्णउणिवा वार वा पावेज वा संठथावेज वा कृपावंत वा संख्यातं वा साइज ।
खेल मक्खन, भलवावे, बार-बार मलवावे, मलवाने
करे ।
रचर (201
का बार-बार मलवाने वाले का अनुमोदन
जो निर्ग्रन्थ तिन्थो की आँखों परअत्यधिक पर गृहस्थ से, सीधमात्मा,
उबटन करवावे, बारम्बार उबटन करवावे,
उबटन करवाने वाले का बार-बार उबटन करवाने वाले
का अनुमोदन करे ।
जो अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से,
अचित शीत जल से या अति उष्ण जल से,
करे ।
की आँखों को
धुलवावे, बार-बार धुलवावे,
धुलवाने वाले का बार-बार घुलवाने वाले का अनुमोदन
जो निन्यनियो की यांचों कोअन्यतकिया गृहस्थ से,
रंगवावे, बार-बार रंगवावे,
रंगवाने वाले का बार-बार रंगवाने वाले का अनुमोदन
करे ।
चातुर्मास उमाटिक परिहारस्थान (प्रायश्चित)
आता है।
निर्ग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी के अक्षीपत्रों का परिकर्म करवाने का प्रायश्चित सूत्र
२६०. जो निर्णय निर्ग्रन्थी के लम्बे अत्रिों को अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से,
कटवावे, सुशोभित करावे,
कटवाने वाले का शुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन
करे ।
उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) आता है।
निर्मन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी के मोह आदि के रोगों का परि कर्म करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र
५६१. जो निधन के भौहों के लम्बे रोमों को अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से,
कटवावे सुशोभित करवावे,
कटवाने वाले का, सुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन
करे ।