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________________ सूत्र ५५६-५५७ निग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी के उत्तरोष्ठादि रोमों का परिकर्म करवाने का प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार [३१ जे जिथे णिमाथीए उ१ जो निम्रन्थ निम्रन्थी के होठों को अण्णउस्थिएण खा, मारस्थिएण था, अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से, संग्राहावेज वा, पलिमहावेज वा, मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे, संबाहावेत या, पलिमहावेतं वा साइज्जह । मर्दन करवाने वाले का, प्रमर्दन करवाने वाले का अनुमोदन करे। मे जिग्गथे णिग्गथीए उ8 जो निग्रंथ गिन्थी के होठों कोअण्णउस्थिएण वा, गारपिएण वा, अन्यतीर्थिक वा गृहस्थ से, सेस्खेण वा-जाव-गवणीएण वा, तेल,-यावत्-मक्खन, मक्खावेज्म वा, भिलिंगावेज वा, मलवावे, बार-बार मलयावे, मक्खावतं चा, मिलिंगाल वा साइज्ज। मलवाने वाले का, बार-बार मलवाने वाले का अनुमोदन करे। जे णिगंथे जिग्गंथीए उ8-- जो नियन्य निग्रन्थी के होठों परअण्णउथिएण वा, गारस्थिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, लोण वा-जाब-वण्ोण वा, लोध-यावत्-वर्ण का उस्लोलावेज्ज वा, उज्वट्टावेज्ज वा, उबदन करवावे, बार-बार उबटन फरवावे, जल्लोलावेतं वा, उषट्रात या साइन। उबटन करवाने वाले का, बार-बार बटन करवाने वाले का अनुमोदन करें। जे णिगणे णिगंथीए उ१ जो निम्रन्थ निग्रंथी के होठों पर-- अपणउरियारण वा, पारस्थिएण वा, अन्यतीथिंक या गृहस्थ द्वारा, सीओरग-वियत्रेण वा, उसिणोखग-वियडेण मा, अचित्त शीत जल से या अचित उष्ण जल से, उन्छोलावेज वा, धोयावेज्ज था, घुलवावे बार-बार धुलवावे, उच्छोलास बा, पधोयावेतं वा साइजह । धुलवाने बाले का, बार-बार घुलवाने वाले का अनुमोदन करे। पिगंधे णिगंभीए उ? जो निमंन्ध निर्मन्धी के होठों कोअण्णउत्थिएण या, गारस्थिएण था, अन्यनीथिक या गृहस्थ से, फूमावेज वा, रावेजपा, रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमावत वा, रयायत वा साइबद। रंगवाने वाले का, बार-बार रंगवाने वाले का अनुमोदन करे । सं सेवमाणे आवज्जद चाउम्मासिय परिहारद्वाणं जग्घायं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि, उ, १७, सु. १०२-१०७ आता है। णिग्गंथेण णिगंथी उत्तरोट रोमाणं परिकम्मकारावणस्स निर्ग्रन्थ- निन्थी के उत्तरोष्ठादि रोमों का परिकर्म करपायच्छित्त सुत्ताई बाने का प्रायश्चित्त सूत्र५५७. में गिरगंथे णिग्गंथीए दोहाई उत्तरोद रोमाई ५५७. जो निग्रंन्य निग्रन्थी के उत्तरोष्ठ के लम्बे रोमों (होय के नीचे के लम्बे रोग) कोअष्णउथिएण वा, गारस्थिएण वा, अन्यतीधिक या गृहस्थ से, कमावेज्जया, संठवावेज वा, कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्पात वा, संठवास वा साइज्मद । कटवाने वाले का, सुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन करे। (जे जिग्गथे णिग्गंधीए वोहाई णासा रोमाई (जो निम्रन्थ निग्नन्थी के नासिका के लम्छे रोमों कोप्रणउत्थिएण या, गारस्थिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से,
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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