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________________ प्रत्र ५५३-५५४ निर्ग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी के नखानों का परिकर्म करवाने का प्रायश्चित्तपत्र चारित्राचार [३७६ जे णिग्गये णिग्गंथीए पावे - जो निम्रन्थ निर्ग्रन्थी के पैरों को-- अण्णउत्थिएण बा, गारथिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, संबाहावेज्ज वा. पलिमवावेज घा, मर्दन करबावे, प्रमर्दन करवावे, संबाहावेत वा, पलिमहातं वा साइजा। मर्दन करवाने वाले का, प्रमर्दन करवाने वाले का अनुमोदन करे। जे जिग्गधे णिग्गंधोए पावे जो निर्ग्रन्थ निग्रन्थी के पैरों कोअग्णरिषएण वा, पारस्थिएण था, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, तेल्लेण वा-जाव-गवणीएम या, तेल-पावत्-मक्खन, मक्खाज बा, मिलिंगावेज वा, मलबाव, बार-बार मलवावे, मरक्षावतंबा, मिलिंगायतं वा साइन। मलवाने वाले का, बार-बार मलवाने वाले का अनुमोदन करे। मेणिगंथे णिमयीए पाये जो निर्गन्थ निम्रन्थी के पैरों कोअग्णडस्थिएण वा, गारस्थिएगवा, अन्यत्तीथिक या गृहस्थ से, सोदेण वा-जाद-वाणेग बा, सोध-यावत्-वर्ण का, उल्लोलावेज्ज वा, जव्वट्टावेज्ज वा, उबटन करवावे, बारस्वार उबटन करवावे, उल्लोलावेतं वा, जय्वट्टावेत वा साइजह । उबटन करवाने वाले का, बर-बार उबटन करवाने वाले का अनुमोदन करे। जे गिगये णिगयीए पावे जो निम्रन्थ निग्रंन्थी के पैरों कोअपणास्थिएण धा, गारस्थिएणबा, अम्पतीर्थिक या गृहस्थ से, सोशेषग-वियोग वा, उसिणोक्षग-वियडेण वा, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोलावेज वा, पधोयाबेग्ज वा, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, उपछोलायतबा, पधोयावेतं वा साइरना। धुलवाने वाले का, बार-बार धुलवाने वाले का अनुमोदन करे। मेणिग्गा गिरगम्थीए पादे जो निग्रन्थ निन्थी के पैरों कोअण्णाउरियएणवा, गारस्थिएणवा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, फूमावेजा था, त्यावेज्ज वा, रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमायबारयावेतं वा साइजा। रंगवाने वाले का, बार-बार रंगदाने वाले का अनुमोदन करे। सेनमाने मागमा चाउम्मापियं परिहारहाणं उम्घाइयं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) --नि. उ. १७, सु. ६८.७३ श्राता है। मिर्गयेण णहसोहाए परिकम्मकारावणस्स पायमिछस-सुत्तं- निग्रंथ द्वारा निर्ग्रन्थी के नखानों का परिकमं करवाने का प्रायश्चित्त सूत्र५५४. ने जिग्गं गिरगंधीए बीहाओ नहसिहामो ५५४. जो निम्रन्थ निग्रन्थी के लदे नखानों कोअण्णा उत्पिएण वा, गारस्पिएण वा, अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से, कम्पावेज्जा , संठवावेज वा, कटवाने, सुशोभित करवावे, कप्पावेतं वा, संध्यातं वा सादज्जइ । कटवाने वाले का, सुशोभित करवाने वाले का अनुमोदन करे । तं सेवमाणे बावज्जा चाउम्मासियं परिहारहाणं उम्बाहयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) नि..१७, सु. ६३ आता है।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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