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________________ ३७८] चरणानुयोग वियनारस निन्थीका बाहिर निकलवाने का प्रायश्विस सूत्रसूत्र ५५१-५५३ - - जे णिगये णिग्गंधीए कायं जो निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी के शरीर कोअण्णउरियएण वा, गारस्थिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, सोनीदग-वियडेग वा, उसिणोदग-वियोग था, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उच्छोसावेज्ज घा, पधोयावेज वा, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, उच्छोलावेतं वा, पधोयावेत वा साइज्जइ । धुलवाने वाले का, बार-बार धुलवाने वाले का अनुमोदन करे। जे णिग्गंधे णिग्गंथीए कार्य जो निन्ध निमी के पारीर कोअण्णउथिएणवा, गारस्थिएण वा, अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से, फूमावेज वा, स्यावेज्ज वा, रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमाखेत वा, रयावतं षा साइजइ । रंगवाने वाले का, बार-बार रंगवाने बाले का अनुमोदन करे। तं सेवमाणे आवज्जद चाउम्मासिय परिहारट्ठाणं उग्याइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि.उ. १७, सु. ७४-७६ आता है। णिगन्थे णिग्गन्धी मलणिहरावणस्स पायच्छिस सुत्ताई- निर्ग्रन्थ द्वारा निर्ग्रन्थी का (आँखों आदि के) मैल निकम वाने के प्रायश्चित्त सूत्र५५२.जे जिग्गंधे जिग्गंधीए ५५२. जो निम्रन्थ निम्रन्यो कीअभिछमसंबर, कागमनं वा, पंतमले वा, नहमल था, आंख के मल को, कान के मल को, दांत के मैल को मन के मैल को, अण्णउत्यिएग वा, गारथिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, मोहरावेज वा, विसोहावेज वा, दूर करवायें, गोधन करवावे, नीहरावेत या, विसोहावेतं वा साइज्मा। दूर करवाने वाले का, शोधन करवाने वाले फा अनुमोदन करे। जे णिगंथे णिगंयोए जो निर्ग्रन्थ निग्रन्थी के-- कायामओ सेयं वा, जल्तं वा, पंक वा, मलंबा, स्वेद (पसीना) को, बल्ल (जमा हुआ मैल), पंक (लगा हुधा कीचड़), मल्ल (लगी हुई रज) को, अग्णउस्थिएण या, गारथिएण वा, अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से, नीहराविज्न वा, विसोहावेज था, दूर करवाये, शोधन करवावे, नोहरावेतं वा, विसोहावेतं वा साहस्जद । दूर करवाने वाले का, शोधन करवाने वाले का अनुमोदन करे। ते सेवमाणे आवाज चाउम्मासियं परिहारटुरणं उग्याइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान प्रायश्चित्त) -नि.उ.१७, सु. ११८-११९ आता है। णिग्गन्थेण णिग्गन्थी पायपरिकम्मकारायणस्स पायच्छित निग्रन्थ द्वारा निग्रंथी के पैरों का परिकम करवाने के सुत्ताई प्रायश्चित्त सूत्र५५३. जे गिर्गथे णिगंभीए पावे ५५३. जो निर्गन्य निग्रन्थी के पैरों कोअण्णउथिएण या, गारथिएण वा, अन्यतीर्थिक या गृहस्थ से, भामज्जावेज्ज वा, पमज्जावेज वा, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवाये, आमज्जातं वा, पमज्जातं वा साइन। मार्जन करवाने वाले का, प्रमार्जन करवाने वाले का अनु. मोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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