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________________ सूत्र ५५०-५५१ निन्धी हारा निर्णय का मस्तक याने का प्रायश्चिस सूत्र चारित्राचार ३७७ णिगंथिणा णिग्गन्थस्स सीसवारिय कारावणस्स पाय. निग्रंन्थी द्वारा निर्ग्रन्थ का मस्तक ढकधाने का प्रायश्चित्त च्छित सत्तं५५०. जा गिग्गंधी णिग्गयस्स गामाणुगामं दूइज्जमाणे ५५०. जो निग्रन्थी ग्रामानुग्राम जाते हुए निर्ग्रन्च के मस्तक कोअण्णउस्थिएण वा, गारपिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, सीसधारियं कारावेइ, कारावेतं वा साइज्जइ । ढकवाती है, ढकवाने वाली का अनुमोदन करती है। सं सेवमाणे आवजह चासम्मासियं परिहारहाणं वाघाहर। लो चातुर्मापक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि.उ. १७, सु. ६७ आता है। EX अन्यतीथिकादि द्वारा निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी के प्रायश्चित्त-५ थिगण णिमान्यो कायपरिकम्मकारायणस्स पायच्छित्त निग्रन्थ द्वारा निर्गन्धो के शरीर परिकम करवाने के प्रायसुताई श्चित्त सूत्र५५१. मे मिगंथे णिगंथोए कार्य ५५१. जो निरन्थ निग्रंथी के शरीर काअग्णपिएण या, गारथिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, भामज्जावेज्ज बा, पमज्जायेज्ज वा, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, आमज्जातं वा, पमरजातं या साइजह। मार्जन करवाने वाले का, प्रमार्जन करवाने वाले का अनु मोदन करे । में गिगये जिग्गंधीए कार्य जो निन्ध निर्ग्रन्थी के शरीर काअण्णउस्थिएण बा, गारस्थिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, संबाहावेज पा, पसिमदावेज वा, मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे, संवाहावंसं वा, पलिमहावेतं वा साइजद। मर्दन करवाने वाले का, प्रमर्दन करवाने वाले का अनुमोदन करे। मे विमांथे जिग्गबीए कार्यअण्णउरिपएण वा, गारस्थिएण वा तेल्लेण वा-जाव-गवणी एग वा, मायावेत वा, मिसिंगावेज्ज था, मरवावेत वा, मिलिंगावेतं वा साइज्जइ । जो निन्ध निर्ग्रन्थी के शरीर पर--- अन्यतीथिक या गृहस्थ से, तेल---यावत्-भक्खन, मलवावे, बार-बार मलवावे. मलवाने वाले का, बार-बार मलवाने वाले का अनुमोदन करे। जो निर्ग्रन्थ निर्ग्रन्थी के शरीर परअन्यतीर्थिक या गृहस्य से, लोध-यावत्-वर्ण का, उबटन करवाने, बार-बार उबटन करवावे, उबटन करवाने वाले का, बार-बार उबटन करवाने वाले का अनुमोदन करे। मे गिम्गवे गिग्गंधीए कार्यअग्णउस्मिएण वा, गारस्थिएण का, लोरण वा-जाब वषेण वा, उल्लोलावेज वा, जब्बट्टावेज वर, उल्लोलावत वा, उच्चट्टावेंतं वा साइम्मइ ।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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