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________________ ३७४] चरणानुयोग निर्ग्रन्थो द्वारा निर्ग्रन्थ के उत्तरोष्ठ रोमों के परिकर्म करवाने के प्रायश्चित सूत्र सूत्र ५४३-५४५ जाणिगायो णिसगंथस्त उ8 जो निर्ग्रन्थी निग्रन्थ के होठों कोअण्ण उत्यिएण वा, गारथिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, सीओबग-वियडेण वा, जसिणोदग-वियडेण था, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, उन्छोलावेज वा, पधोयावेज वा, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, उच्छोलाबेतं वा, पधोयाबेंतं वा साइज्जइ । धुलवाने वालो का, बार-बार धुलवाने वाली का अनुमोदन करे। जा जिग्गंथी णिग्गयस्स उ? जो निन्धी निर्ग्रन्थ के होठों कोअण्णउस्थिएण बा, गारस्थिएण बा, अन्यतीथिक या गृहस्य से, फूमावेज्ज पा, स्यावेज्ज चा, रंगवावे, बार-बार रंगवावे, फूमात बा, रयायत वा साइजइ। रंगवाने वाली का, बार-बार रंगवाने वाली का अनुमोदन करे। तं सेवमाणे आवज्ज चाउम्भासियं परिहारहाणं उरघाइयं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि.उ.१७. सु. ४६-५४ आता है। पिथिणा णिमय उत्तरोदाइ रोमाणं परिकम्मकाराषण- निन्थी द्वारा निर्ग्रन्थ के उत्तरोष्ठ रोमों के परिकर्म करस्स पायच्छित्त सुत्ताई वाने के प्रायश्चित्त सूत्र५४४. जा जिग्गयो जिग्गंवत्स दीहाई उत्तरोटु रोमाई ५४४. जो निम्रन्थी नियन्य के उत्तरोष्ठ लम्बे रोमों (होठ के नीचे के सम्बे रोम) को अबउत्थिएग बा, गारस्थिएण वा, प्रतीथि गरे कप्पावेज्ज बा, संठवावेज्म वा, कटवावे, सुशोभित करवावे, कप्पावतं का, संठवावेतं वा साइज्जः । कटवाने वाली का, सुशोभित करवाने वाली का अनुमोदन करे। [मा गिरगयो णिगंधस्स चौहाई गासा रोमाई जो निग्रंन्थी निग्रंन्ध के नासिका के लम्बे रोमों कोअण्णाधिएण वा, गारस्थिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, कावेज्ज बा, संठवावेज वा, कटवाचे, सुशोभित करवावे, कापावेतं वा, संठवावेतं वा साइजह । कटवाने वाली का, मुशोभित करवाने वाली का अनुमोदन तं सेवमाणे आवज्जा चाउम्भासियं परिहारद्वापं जापाइयं। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त) -नि. उ. १७, सु. ५५ आता है । णिग्गंथिणा णिग्गंध दंत परिकम्मकारावणस्स पायच्छित्त निग्रन्थी द्वारा निर्ग्रन्थ के दांतों का परिकर्म करवाने के सुत्ताई प्रायश्चित्त सूत्र५४५. जा गिग्गंधी णिमांथस्स देते ५४५. जो निग्रन्थी निग्रंथ के दांतों कोअपण स्थिएण वा, गारस्थिएग वा, अन्यतीथिक या गहस्य से, आघंसावेज्ज वा, पर्घसावेज वा, घिसवावे, बार-बार घिसवावे, आघतावेत वा, पघंसावेतं वा साइरनइ। पिसवाने वाली का, बार-बार घिसवाने वाली का अनुमोदन जा गिागंयो गिग्गयस्स तेअण्णाजस्थिएण या, गारस्थिएण वा, उच्छोलावेज वा, पोयावेज्ज बा, उच्छोलावसं वा, पधोयावेत वा साइज्जइ । जो निग्रंथी निग्रंन्ध के दांतों कोअन्यतीथिक या गृहस्य से, धुलवावे, बार-बार धुनवाचे, धुलवाने वाली का, बार-बार धुलवाने वासी का अनुमोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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