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________________ सूत्र ५४२-५४३ निर्गन्थी द्वारा निर्ग्रन्थ के होठों का परिकम करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार [३७३ कप्यावेज्जया, संठवावेज वा, कप्पावतं या, संठवावेंतं वा साइजह । जा जिग्गयी णिगयम्स चौहाई वस्थिरोमाईअण्ण त्पिएण वा. गारस्थिएण वा, कप्पावेज वा, संठवावेज घा, कापावेत वा, संठवावेतं वा साइजइ । कटवावे, एशोभित करवाने, कटवाने वाली का, सुशोभित करवाने वाली का अनुमोदन करे। जो निर्ग्रन्थी निर्ग्रन्थ के बस्ति के लम्बे रोमों कोअन्यतीथिक या गृहस्थ से, कटवावे, सुशोभित करवाने, कटवाने वाली का, सुशोभित करवाने वाली का अनुमोदन करे। जो निग्रंथी निर्धन्य के लम्बे सक्षु रोमों कोअन्यतीयिक या गृहस्व से, कटवावे, सुशोभित करवावे, कटवाने वाली का, सुशोभित करवाने वाली का अनुमोदन जा णिग्गंधी गिरगंथस्स बीहाई चक्लुरोमाईअण्ण थिएण वा, गारथिएण बा, कप्पावेज वा, संठवावेज्जया, कपात बा, संठवावेतं वा साइजह । करे। तं सेषमाणे आवज्जा वाजम्मासिय परिहारदाणं उग्धाइयं । उसे चातुर्मासिक उद्घातिकः परिहारस्यान (प्रायश्चित्त) -नि.उ.१७, सु. ४१-४५ आता है। णिग्गंपिणा मिमांथ ओट्रपरिकम्मकाराचणस्स पायच्छित्त निर्ग्रन्थी द्वारा निर्ग्रन्थ के होठों का परिकर्म करवाने के सुत्ताई प्रायश्चित्त सूत्र५४३. जाणिग्गंथी गिगंथस्स री ५४३. जो निर्गन्धी निर्ग्रन्थ के होठों को अगस्थिएण बा, गारस्थिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, आमज्जावेज्ज वा, पमज्जावेज या, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, आमज्जावेत षा, पमम्जावेत या साज्जा। माजन करवाने वाली का, प्रमार्जन करवाने वाली का अनु मोदन करे। जा णिग्गयी णिगंयस्त उ8 जो निर्ग्रन्थी निग्रन्थ के होठों कोअण्ण इस्थिएण वा, गारथिएण वा, अन्यतीथिक या गृहस्थ से, संवाहावेज्ज वा, पलिमदग्वेज्ज या, मदन करवावे, प्रमर्दन करवावे, तयाहावेत या, पलिमहायत वा साइज्मा । मर्दन करवाने वाली का, प्रमर्दन करवाने वाली का अनु मोदन करे। जा णिग्यो गिगंधस्स उ8 जो निर्ग्रन्थी निर्ग्रन्थ के होठों कोअण्णउत्थिएण वा, गारथिएण वा, अन्यत्तीधिक या गहस्थ से, तेल्लेण वा-जाद-णवगोएण वा, तेल-यावत्-मक्खन, मबखावेज वा, मिलिंगावे ज्ज वा, मलयावे, बार-बार मलबादे, मक्खात बा, मिलिगायतं वा हाइग्जा। मलनाने वाली का, बार-बार मलवाने वाली का अनुमोदन करे। मा पिगंथी गिग्गयस उट्टे जो निग्रंन्धी नित्य के होठों कोअण्णउथिएण वा, गारस्थिएण वा, अन्यतीरिक या गृहस्थ से; लोण वा-जाव-वणेण वा, लोध-यावत्-वर्ण से, उल्लोलावेज्ज वा, उस्वट्टावेज या, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवाने, उस्लोलावेतं या, उबट्टावेतं वा साहस । उबटन करवाने वाली का, बार-बार उबटन करवाने वाली का अनुमोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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