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________________ ३६४ चरणानुयो मिक्यू अन्गथिए था, वारथि वा अध्पणी कार्य : लोण वा जाव वण्णेण वा डल्लोलावे या वट्टा वेज्ज वा, बाबा साइज जे भिक्खू अण्णउल्पिएग वा गारस्थिएण वा अपणो कार्यसोओग-वियोग दा, उसिगोवग- वियद्वेण वा, उठोन् वा पोयावेव पा उच्छला था, पधोपावेंतं वा साइज्जइ । मल दूर करवाने के प्रायश्चित सूत्र भरण वा गारदिएन वा कार्य मावे या राजवा 1 माया या था साइज तं सेवमाने आवजम घाउम्मातियं परिहारद्वाणं उत्पादयं । नि. ४.१५.१२-२४ मलणीहरावणरस पायच्छित सुताई२२६.. मि वा कन्दमाता नमले वा नीवेज्ज वा विमोहविज्ज वा नीरा या विसोहावेत या साइज्जह मिथिएन वा पारस्थििण वा अप्पणी कावासेयं था, जल्लं वा, पं वा मलं वा, मोहराना, विहा मोहरा बहामास सेवमाने मासि परिहारार्थ उद - नि. उ. १५, सु. ६३-६४ उपिएम मा गारपिएम वा अध्मयो पार्क संग्राहावेन या पलिमदावेज वा सूत्र ५२५-५२७ जो अन्य से या मुहस्थ से अपने शरीर को लोध - यश्वत्-वर्ण का, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे, 1 उबटन करवाने वाले का बार-बार उबटन करवाने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु अन्यतीर्थिक से या गृहस्य से अपने शरीर को - अति शोत जल से या अति उष्ण जल से, करे । धुलवावे, बार-बार धुलवावे, धुलवाने वाले का, बार-बार धुलवाने वाले का अनुमोदन जो भिक्षु अवधि से या गृहस्थ से अपने शरीर को रंगवावे, दारदार रंगवावे, रंगवाने वाले का बार-बार रंगवाने वाले का अनुमोदन करे । उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान ( प्रायश्चित्त) आता है। मल दूर करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र२६. जो किया गृह से अपने नख आंख के मैल को, कान के मैल को, दाँत के मैल को, के मेल को, दूर करणारे शोधन करवावे. दूर करवाने वाले का शोधन करवाने वाले का अनुमोदन करे । जो भी से या गृह से अपने शरीर से स्वेद (पसीना ) को जल्ल ( जमा हुआ मैल) को, पंक (लगा हुआ भीड़ को लगी हुई रज) की, दूर करवाये, शोधन करावे, दूर करवाने वाले का शोधन करवाने वाले का अनुमोदन करे । पाय- परिक्रम्मका रावणस्स पायच्छित सुत्ताई ५२७ थिएन था गायन या अपनो पावे १२७. जो अन्यतीर्थिक से या गृहस्य से अपने पैरों का भिक्षु - जे भिक्खू गारतियएम - मज्जा वेज्ज व पमन्जाबेज्ज था, मज्जातं वा मज्जातं वा साइज्य उसे चातुर्मासिक उपातिक परिहारस्थान ( प्रायश्वित्त) आता है । पैरों का परिकर्म करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र- मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, भाजन करवाने वाले का प्रमार्जन करवाने वाले का अनुमोदन करे। 1 ओ से या हस्य से अपने पैरों का मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवावे,
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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