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शरीर परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
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(२) परिकर्मकरण-प्रायश्चित्त
स्व-शरीर परिकर्म-प्रायश्चित्त-१
कायपरिकम्मरस पायच्छित्त सुत्ताई४६६. भिम अपणो काय--
आमरजेन्ज था, पमम्जेज वा,
आमज्जत वा, पमतं वा साहज्जद ।
ने मिक्खू अप्पणो कार्यसंबाहेज्ज था, पलिमहज्जवर,
संवाहेतंबर, पलिमहतं वा साइज्जा। में भिव अप्पणो कार्यतेस्लेण वा-जाव-गवणोएग वा, अभंगेज्ज वा, मवखेज्ज था,
अमंगतं वा, ममतं वा साइन्न। मे मिगलू अप्पगो कार्य-- लोग वा-जाव-वपणेग वा, सल्लोलेजन वा, सम्वट्ठ ज्ञवा,
शरीर परिकर्म के प्रायश्चित्त सूत्र४६६. जो विक्ष अपने शरीर का
मार्जन करे, प्रमार्जन करे, मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवाये,
मार्जन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन करे।
जो भिक्षु अपने शरीर कामदन करे, प्रमर्दन करे, मर्दन करावे, प्रमर्दन करावे, मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन करे। जो भिन अपने शरीर परतेल-यावत्-मक्खन, मले, बार-बार मले, मलवावे, बार-बार मलवावे, मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु अपने शरीर परलोध-पावत्-वर्ण का, उवटन करे, बार-बार उबटन करे. उबटन करावे, बार-बार उबटन करावे,
उबटन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का अनुमोदन करे।
जो भिक्षु अपने शरीर कोमचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, धोये, बार-बार धोये, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, धोने वाले का, बार-बार धोने बाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु अपने शरीर को-- रंगे, बार-बार रंगे, रंगाचे, बार-बार रंगाचे, रंगने वाले का, बार बार रंगने वाले का अनुमोदन करे।
उसे उद्घातिक मासिक परिहार स्थान (प्रायश्चित्त) आता है।
स्लोलतं वा, उन्धट्टल पर साइन ।
मे भिक्खू अपणो कार्यसीओग-वियोण वा, जसिगरेलग-वियोग वा, उच्छोलेज्ज दा; पधोवेज्ज वा,
उच्छोलेंत वर, पधोबत वा साइज्जइ । जे भिम्बू बप्पणो कार्यफूमेज वा, रएज्ज वा,
फूमेंसं वा, रस वा साइज्ज। तं सेवमाणे आपज्जा मासियं परिहारहाणं म्याइयं ।
-नि. ड.३, सु. २२-२७