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________________ ३४६] परणानुयोग मैथुन सेवन के संकल्प से गण्डाविक चिकित्सा करने के प्रायश्चित्त मूत्र सूत्र ४६४ सोओग-वियोण बा, उसिगोदग-विपग वा, जन्छोसेम्न पा, पयोएग्ज वा, उम्छोलतंबा, पधोएत वा साइजह । मे भिक्ख माजग्गामस्स मेहणषधियाए अप्पणो कार्यसि -- गंड बा-जाव-मगंधलंबा, अम्णयरेग तिक्वेणं सत्यजाएणं, अग्छिवित्ता वा विश्विविता वा, पूर्व वा, सोगियं वा, मोहरिता वा, विसोहेत्ता वा, सोभोग-विवडेण वा, उसिणोरग-वियोण वा, उच्छोलेत्ता वा, पनोएसा वा, अनयरेणं धालेवणजाएणं, आखिपेज्ज बा, बिलिपेख बा, आलित बा, विलितं वा साइजह । मे भिक माजग्गामस्स मेनुएवडिपाए अपणो काति अमित शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, धोये, बार-बार धोये, धुलवावे, बार-बार धुलवावे, धोने वाले का, बार-बार धोने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान है इन्द्रियाँ जिसकी (ऐसी स्त्री से) मथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर पर हुए गण्ड--यावत्-भगन्दर को, किसी प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से. हेदन कर, बार-बार छेदन कर, पीप या रक्त को, निकाल कर, शोधन कर, अचित्त शीत जल से या अनित उष्ण जल से धोकर, बार-बार धोकर, किसी एक प्रकार के लेप का, लेप करे, बार-बार लेप करे, लेप करावे, बार-बार लेप करावे, लेप करने वाले का, बार-बार लेप करने वाले का अनुमोदन करें। जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियां जिसकी (ऐसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर पर हुए गण्ड, यावत्-भगन्दर वो, किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र से, छेदन कर, बार-बार छेदन कर, पीप या रक्त को, निकान कर, शोधन कर, अचिन शीत जल से या अचित्त उठण जल से, धोकर, बार-बार धोकर, किसी एक प्रकार के देप का, लेप कर, बार-बार लेप कर, तेल-यावत्-मक्खन, मले, बार-बार मले, मलबाबे, बार-बार मलवावे, मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे। जो भिक्षु माता के समान हैं इन्द्रियाँ जिसकी (एसी स्त्री से) मैथुन सेवन का संकल्प करके अपने शरीर पर हुए, गण्ड- यावत्--भगन्दर को, किसी एक प्रकार के वीक्षण शस्त्र से, छेदन कर, बार-बार छेदन कर, पीप या रक्त को, गंडवा-जाव-भगवसं वा, भरणयरेणं तिमवेणं सत्यजाएणं, अभियवित्ता वा, विक्छिवित्ता गा; पूर्व बा, सोगियंगा, नौहरित्ताबा, विसोहेसाबा, सोपोरग-वियोण वा, उसिणोदम-विवडेण पा, उच्छोसेतामापधोएसा मा, अम्गपरेणं मासेनगजाणं, आलिपेत्ता वा, विलिपेसा वा. तेल्लेम वा-जाव-णवीएप वा, मम्मंगेज वा, मखेज्ज वा, - - - - - - . . . . - - अमंगेत वा, मक्यात वा साइमा । मे मिक्खू माजगामस्स मेहगवटियाए मापणो कार्यास-- गंवान्जाद-मपंवलवा, माममरेगं तिमोगं सस्थमाएणं, मणिविसावा, विशिपिता पर, पूर्व बा, सोषियं बा,
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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