________________
०५-४०६
wwwwww
सकले य गन्धे य, रसे फासे सहेव य । पंचविहे कामगुणे, निभ्यो परिवर
कामाणु मिडियभवं खु तुम्ही,
सरसदेवयास । काइ मानवियं किवि,
तस्सऽन्त गच्छ वीयरागो ||
जहा य किपागफला मणोरमा,
ते हुए जीविच पक्षमाणा
- उत्त० अ० १६, गा, १२
रसेन चण्जेण य भुज्जमाना ।
नए कामभोगे संकट्ठाणाणि सभ्यागि,
ब्रम्मचेररक्खणोबाया
एओषमा कामगुणा वियागे ।। - उत्त० ० ३२, गा० १९-२० चिसो परिचय | बज्जा पणिहाणवं ॥ - उत्त० अ० १६, गा० १६
ब्रह्मचर्य रक्षण के उपाय
विसा इल्यिससम्मी पणीयरत भोयणं । मरसलगमेसिस्स, बिसं तालउयं जहां ॥
- दस० अ० ८, गा० ५६ विविता भवेन्ना, मारीचं स महिना, कृष्णा सह संचयं ॥
- दस०अ०८ गा०५२
1,
४७. रियायते समिए सहि साज पिडित अर्थ- किस जगी करिहसति ?
एस से परमारामो जाओ लोगंसि इथियो ।
मुनिषा हु एवं पचेदितं । उपाधिजमाणे गामधम्मेहि,
अषि जिम्मवासए ।
अनि कोमोरियं कु
अचि
ठाणं डाएग्जा अवि गामा णुगामं इजेक्जा. अभिहार पोसा, अनि ए इत्यो म
चारित्राचार
शब्द, रूप, गन्ध, रस और स्पर्श इन पाँच प्रकार के कामगुणों का सदा वर्जन करें ।
के भी जो कुछ कायिक और मानसिक दुःख हैं, वे काम-भोगों की सतत अभिलाषा से उत्पन्न होते हैं । वीतराग उस दुःख का अन्त पा जाता है।
१३१
जैसे किपाक फल खाने के समय रस और वर्ण से मनोरम होते हैं और परिवाक के समय क्षुद्र-जीवन का अन्त कर देते हैं। काम-गुण भी विपाक फल में ऐसे ही होते हैं।
एकाग्रता मुनि दुर्जय काम-भोगों और इन में शंका उत्पन्न करने वाले पूर्वोक्त सभी स्थानों का वर्जन करे।
आत्मगवेषी पुरुष के लिए विभूषा, स्त्री का संसर्ग और पीवरस का भोजन तानपुट विष के समान है।
-
मुनि एकान्त स्थान में रहे, स्त्रियों की कथा न कहे । और गृहस्यों से परिचय न करे यदि परिचय करना ही चाहे तो साधुओं से ही करे।
1
ब्रह्मचर्य रक्षण के उपाय
४०६. वह प्रभूतदर्धी, प्रभूत परिज्ञानी, उपशान्त समिति से युक्त, (जानादि) सहित अदा मनाशी या इन्द्रियजयो अप्रमत मुनि के लिए उद्यत स्त्रीजन को देखकर अपने आपका पर्यालोचन करता है
"यह स्वीजन मेरा क्या कर लेगा?" अर्थात् मुझे क्या सुख प्रदान कर सकेगा ? (तनिक भी नहीं) वह स्त्रियाँ परम आराम (ति को मोहित करने पाली) है। मैं तो सहग आत्मिक
सुख से सुखी हूँ (ये मुझे क्या सुख देंगी ?)
ग्राम
(इन्द्रिय विषयवासना) से उत्पीड़ित मुनि के लिए मुनीन्द्र तीर्थंकर महावीर ने यह उपदेश दिया है कि
वह निर्बल (निःसार) बाहार करे,
कनोदरिका (अल्पाहार) भी करे-कम खाये,
करे
ऊ स्थान होकर
ग्रामानुग्राम बिहार भी करे,
आहार का परित्याग ( अनशन) करे,
स्त्रियों के प्रति आकृष्ट होने वाले मन का परित्याग करे।