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________________ २८४] चरणानुयोग बीपण ४०७ [१०] से तं? उ०- गगपंच १. किण्हे, २. नीले, ३. लोहिए ४ हालिद े, ५. सुकिल्ले । अस्थिपणगमेसा समाणवले नाम पण ते । जे छउमत्येष निरयेण या निम्गंधीए वा अभिव अभिक्खणं जाणिय पासियावे पहिले हियस्वे भवइ । पण । - दसा. द. ६ सु. ५२ तई बहु४०८० सेकितं द्वितीय सूक्ष्म ? उ०- बोअसुमे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा ९. किव्हे, २. नीले, ३. लोहिए. ४. हालि६) ५. सुविकरले । अस्थि यीअट्टमे कष्णिया समाणवण्णए नाम पष्णसें । देवेन वा निपीए वा अि अभिक्खणं जाणिवे पासियध्वे पहिलेहियध्वे भव सेतं भी। दसा. दम, सु. ५३ । हरिय ४०६, ५०-से कि तं हरिमुहमे ? उ०- हरिपंच महा १. किण्हे, २. नीले, ३. लोहिए, ४ हालिदे, ५. किल्ले अस्थि हरियमे पुरुषीसमाणवण्णए नाम पते निर्माण या निम्मी वा अभि अभिमाणियव्ये पासियत्वे पडिलेहियध्वे मवई सेतं । - दसा. द. ८, सु. ५.४ पंचमं पुस ४१० प० – से कि सं पुप्फसुमे ? उ० मे पंच १. किण्हे, २. नीले, ३. लोहिए, ४ हालिद, ५. अस्थि पुष्कमे समाणवणे नामं पण्णत्ते, जे मनवा निम या अभिनय अभि जाणियष्ये पासियम पडिलेहियध्वे भवइ से पुष्पा -दसा. द. सु. ५५ द्वितीय पनक सूक्ष्म ४०७, ४० भगवन् I पनक सूक्ष्म किसे कहते हैं ? पाँच प्रकार के कहे गए हैं, यथा (१) कृष्ण वर्ण वाले, (२) नील वर्ण वाले, (३) लाल वर्ष वाले, (४) पीत वर्ण वाले, (५) शुक्ल वर्ण वाले । वर्षा होने पर भूमि, काष्ठ, वस्त्र जिस वर्ष के होते हैं उन पर उसी वर्ण वाली फूलन आती है, अतः उनमें उसी वर्ण वाले जीव उत्पन्न होते हैं । अतः ये पनक सूक्ष्म छद्मस्थ निर्ग्रन्य-निर्ग्रन्थियों के बार-बार जानने योग्य देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं । . पनक सूक्ष्म वर्णन समाप्त । तृतीय बीज सूक्ष्म ४०० प्र० भगवन् [1] बीज-सूक्ष्म किसे कहते हैं ? सत्र ४०७-४५० - उ०- बीज सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा(१) वर्ग वाले, (२) नीत बर्ग वाले, (0) बाल वर्ग वाले, (५) मुक्त वर्ष वा वाले, (४) पीठ व 1 वर्षा काल में शाति आदि धान्यों में समान वर्ण वाले सूक्ष्म जीव उत्पन्न होते हैं वे बीज मूल्य कहे जाते है। ये बीज-सूक्ष्म छद्मस्य नित्य-निर्ग्रन्थियों के बार-बार जानने योग्य देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य है। बीज-सूक्ष्म वर्णन समाप्त | चतुर्थ हरित सूक्ष्म ४०. प्र०भगवन् ! हरित सूक्ष्म किसे बहते हैं ? उ०- हरित सूक्ष्म पाँच प्रकार के कहे गये हैं, यथा(१) कृष्ण वर्ण वाले, (२) नील वर्ण वाले, (३) लाल वर्ण वाले, (४) पीत वर्ण वाले, (५) शुक्ल वर्णं वाले । ये हम हरे पत्तों पर पृथ्वी के समान वर्ग वाले होते हैं। ये हरित सूक्ष्म छद्मस्य निर्व्रन्थ-निर्ग्रन्थियों के बार-बार जानने योग्य देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य है। हरित सूक्ष्म वर्णन समाप्त । पंचम पुष सूक्ष्म ४१०. प्र० - भगवन् ! पुष्प-सूक्ष्म किसे कहते हैं ? उ०- पुष्प- सूक्ष्म पांच प्रकार के कहे गये हैं, यथा (१) कृष्ण वर्ण वाले, (२) नील वर्ण वाले, (३) वर्ण चाले, (४) पीत वर्ण वाले, (५) शुक्ल वर्ण वाले। ये पुक्ष्म जीव फूलों में वृक्ष के समान वर्ण वाले होते हैं। ये पुष्प - सूक्ष्म जीव छद्मस्थ निर्ग्रन्थ निन्थियों के बार-बार जानने योग्य, देखने योग्य और प्रतिलेखन योग्य हैं। पुष्प-सूक्ष्म वर्णन समाप्त ।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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