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सूत्र ३२५-३५६
मम्यतीक्षिक या पहस्थ से प्रण की चिकित्सा के प्रायश्चित्त सूत्र
चारित्राचार
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(४) अन्यतीथिक या गृहस्थ की चिकित्सा करने के प्रायश्चित्त
अण्णउत्थियस्स गारत्थियस्स बणपरिकम्म पाच्छिस- अन्यतोथिक या गृहस्थ सेवण की चिकित्सा के प्रायश्चित्त
सुत्ताई३८५. मंभिक्खू अग्ण स्थियम्स वा, गारस्थियस्स वा, कार्यसि ३८५. जो भिक्षु अन्यतीयिक या गृहस्थों के शरीर के व्रण का
वणंआमज्जेज वा, पमज्जज्ज वा,
मार्जन करे, प्रमार्जन करे,
मार्जन करवावे, प्रमार्जन करवावे, आमज्जतं वा, पमज्जंतं वा साइजद ।
भाजन करने वाले का, प्रमार्जन करने वाले का अनुमोदन
करे। जे भिक्षु अपस्थियस्स पा, गारस्थियस्स वा, कार्यसि जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थों के शरीर के प्रण कावर्ग - संशहेज वा, पलिमज्ज वा,
मर्दन करे, प्रमर्दन करे,
मर्दन करवावे, प्रमर्दन करवाये, संबाहेतं वा, पलिमहेंत वा साइज्जद ।
मर्दन करने वाले का, प्रमर्दन करने वाले का अनुमोदन
करे। ने भिक्खू अग्णउत्थियरस पा, गारस्थियस्त वा, कार्यसि जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थों के शरीर के व्रण परवर्षतहलेण दा,-जाव-णवणीएम वा,
तेल-थावत्-मक्खन, मरखेज वा, मिलिगेज्ज वा,
मले, बार-बार मले,
मलवावे, बार-बार मलवावे, मवलतं वा, मिलिगंतं या साइमइ ।
मलने वाले का, बार-बार मलने वाले का अनुमोदन करे । जे भिक्खू अण्णउत्यियास था, ारत्यियस्स बा, कार्यसि जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थों के शरीर के व्रण पर
पण
लोशेण वा-जावन्यण्गेण बा, उल्सोलेन्स वा, उबवट्ट ज्ञवा,
उकलोमेंतं बा, उम्पतं वा साहज्जा।
लोध-यावत्-वर्ण का, उबटन करे, बार बार उबटन करे, उबटन करवावे, बार-बार उबटन करवावे,
उबटन करने वाले का, बार-बार उबटन करने वाले का अनुमोदन करे।
जो भिक्षु अन्यतीयिक या गृहस्थों के शरीर के वण को
बेभिवत अण्ण स्पियरस या, गारस्थियस बा, कार्यसि वर्णसीबोग-वियरंग वा, उसिणोदग-वियरेण वा, उच्छोलेग्ज वा, पधोएन्ज वा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण जल से, धोये, बार-बार धोये, घुलवावे, बार-बार धुलवाये, धोने वाले का, बार-बार घोने वाले का अनुमोदन करे । जो भिक्षु अन्यतीयिक या गृहस्थों के शरीर के व्रण को
उन्कोलंसं वा, पधोएंतं वा साइज्जा। में मिफ्लू अप्पडत्यियस्स बा, पारस्यियस्स बा, कासि बर्ग