________________
२७२]
वरणानुयोग
अश्यतीपिक या गृहस्म की गण्डावि को चिकित्सा के प्रायश्चित्त सूत्र
सूत्र ३५५-३८६
सुत्ताई
फूमेग्ज वा, रएज्ज वा,
रंगे, बार-चार रंगे,
रंगवावे, बार-बार रंगवाये, फूमतं या, रएंतं वा साइज्जद ।
रंगने वाले का, बार-बार रंगने वाले का अनुमोदन करे । तं सेवमाणे आवज्जद चाउम्मासिय परिहारट्ठाणं अणुग्धाइय। उसे चातुर्मासिक उद्घातिक परिहारस्थान (प्रायश्चित्त)
-नि. उ. ११. सु. २३.२८ आता है। अण्णउस्थियस्स गारस्थियस्स गंडाइतिगिच्छाए पायच्छिस- अन्यतीर्थिक या गृहस्थ की गण्डादि की चिकित्सा के
प्रायश्चित्त सूत्र - ३८६. में मिषलू अण्णउत्मियस्स वा, गारस्थियस्स वा, कार्यप्ति- ३८६. जो भिक्षु अन्यतीथिक या गृहस्थों के शरीर केगं वा-जाव-भगवलं वा,
गण्ड--यावत्-भगन्दर को, अण्णयरेणं तिवंग सत्यनाए,
अन्य किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, अच्छिवेज्ज या, विच्छिरेग्ज या,
छेदन करे, बार-बार छेदन करे,
छेदन करवावे, बार-बार छेदन करवाये, अच्छिवेत या, विच्छिदेत या साइम्नह ।
छेदन करने वाले का, बार-बार छेदन करने वाले का अनु
मोवन करे। जे भिक्ख अग्णउत्थियस्स वा, गारस्थियम्स वा, कायसि--- जो भिक्षु अन्यतीधिक या गृहस्थों के शरीर केगंड वा-जाच भगंदलं वा,
गण्ड-मावत्-मगन्दर को, अण्णयरेणं सिक्वेण सत्यजाए,
अन्य किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, अच्छिादित्ता वा, विपिछविसा था,
छेदन कर, बार-बार छेदन कर, पूर्व बा, सोणियं वा,
पीप या रक्त को, नोहरेज वा, विसोहेज वा,
निकाले, शोधन करे,
निकलवावे, शोधन करवावे, नोहरतं वा, विसोहेंतं वा साइजाइ ।
निकालने वाले का, शोधन करने वाले का अनुमोदन करे। मे मिमखु अण्णउत्थिपस्स था, गारस्थिपस्स या कार्यति- जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थों के शरीर केगं वा-जाव-भगंदलं वा,
गण्ड-यावत्-भगन्दर को, अग्णयरेणं तिक्लेवं सत्यजाएग,
अन्य किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, छिरित्ता वा, विपिछवित्ता वा,
छेदन कर, बार-बार छेदन कर, पूर्व वा सोणियं वा,
पीप या रक्त को, मोहरेता वा, विसोहेत्ता वा,
निकाल कर, शोधन कर, सोमओवग-बियडेग वा. रसिणोदग-वियडेण वा,
अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण अल से, उच्छोलेज्ज वा. पोएज्ज वा,
धोये, बार-बार धोये,
धुलवावे, बार-बार धुलवावे, उपछोलेंतं या, पधोएतं वा साइरन ।
धोने वाले का, बार-बार धोने बोने वाले का अनुमोदन
करे। जेभित्र अग्नउस्थियस वा, गाररियपस्स बा, काति- जो भिक्षु अन्यतीर्थिक या गृहस्थों के शरीर केगंवा-जाव-भगवसं वा,
गण्ड-यावत्-भगन्दर को, अण्णयरेणं तिश्योगं सत्यजाएणं,
अन्य किसी एक प्रकार के तीषण शस्त्र द्वारा, अच्छिवित्ता वा, विच्छिविता वा,
छेदन कर, बार बार छेदन कर, पूर्व वा सोगियं वा,
पीप मा रक्त को, नोहरेता पा, विसोहेत्ताबा,
निकालकर, शोधन कर,