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________________ सूत्र ३८३ गण मावि को चिकित्सा करवाने के प्रायश्चित्त सूत्र चारित्राचार २६६ गंडाइ तिगिच्छा करावणस्स पायच्छित्तसत्ताई-- गण्ड अादि की विभिनयाने के प्रायश्चित्त सत्र३८३.जे मिक्स अण्णउस्थिएग वा, गारस्थिएण श, अप्पणो ३६३. जो भिक्षु अन्यतौधिक से या गृहस्थ से अपने शरीर के कार्यसि-- गंड पा-जाव-मगरलं वा, गण्ड-पावत्-भगन्दर को, अन्नयरेणं तिलंग सस्थजगएणं, अन्य किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, मिटवावेज्ज वा विच्छिदावन या, छेदन करवावे, बार-बार छेदन करवावे, अपिछयायेतं वा, शिमछवावेतं वा साइज्जई। छेदन करवाने वाले का, बार-बार छेदन करवाने वाले का अनुमोदन करे। जे मिरवू अण्णउत्यिएणवा, गारस्थिएष वा, अपणो कार्यसि- जो भिक्षु अन्यतीथिक से या गृहस्थ से अपने शरीर केगंडवा-जाव-मगंवलं वा, गण्डयावत्-भगम्बर को, भन्नयरेणं वा तिखेणं सत्यजाएग, अन्य किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, आँस्छवाविता वा विच्छिवाषिता वा, छेदन करवाकर, बार-बार छेदन करवाकर, पूर्य था, सोणिय वा, पीप या रक्त को, नौहरावेज वा, विसोहाविग्ज बा, निकलवावे, शोधन करवावे, मोहरायेतं वा, विसोहावेतं वा साइवाइ । निकलवाने वाले का, शोधन करवाने वाले का अनुमोदन करे । मे भिक्खू अण्णरिभएण था, गारथिएन वा, अप्पगो जो भिक्षु अन्यतीर्थिक से या गृहस्थ से अपने शरीर केकार्यसि गंवा-जाव-मगंबलवा, गण्ड-यावत्-भगन्दर को, अनयरेणं तिक्षणं सस्थजाएण, अन्य किसी प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, अन्छिवावेत्ता बा, विग्छिवावेसावा, खेदन करवाकर, बार-बार खेदन करवाकर, पूर्व भा, सोणिय वा, पीप या रक्त को, नोहरावेसा पा, विसोहावेत्ता वा, निकलवाकर, शोधन करवाकर, सीओबग वियरेग वा, उसिगोदग-वियरेख था, अचित्त शीत जल से या अपित्त उरुण जल से, उस्छोलान वा, पधोयावेज वा, धुलवाये, शर-बार धुलवाये, उन्होलावतं वा, पधोयावत वा साइज्जइ। धुलवाने वाले का, बार-बार धुलवाने वाले का अनुमोदन जो भिक्षु अन्यतीधिक से या गृहस्थ से अपने शरीर के-- में भिखू अगस्थिएण वा, गारस्थिएण वा, भप्पणो कार्यसिगडं वा-जाव-मगंवल वा, अन्नयरेणं सिखे ग सस्थजाएणं, मषिठवावेता वा, विक्टिवायेता श, पूर्व वा सोषियं या, नोहराबेसा वा, विसोहावेत्ता वा, सीओवग-वियोग वा, उसिणोदग-वियडेण वा, उन्होलावेत्ता वा, पधोयावेत्ता वा, अनपरे भालेवणजाएग, आलियन वा, विलिपावन ना, आलिपावेतं वा, विलिंपावसं वा साइजद। गह-यावत्-भगन्दर को, अन्य किसी एक प्रकार के तीक्ष्ण शस्त्र द्वारा, छेदन करवाकर, बार-बार छेदन करवाकर, पीप या रक्त को, निकलवाकर, शोधन करवाकर, अचित्त शीत जल से या अचित्त उष्ण अन्न से, धुलवाकर, बार-बार धुलवाकर, अन्य किसी एक प्रकार के लेप का, लेप करवावे, बार-बार लेप करवाये, लेप करवाने वाले का. बार-बार लेप करवाने वाले का अनुमोदन करे।
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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