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________________ ता E ६२३ ६३० : विषय सूत्रोक पृष्ठांक विषय सूत्रांक पृष्ठाक पाणषणा-२ उपस्थान क्रिया का स्वरूप ६४४ प्राक्कथन भिक्षु के एक क्षेत्र में पुनः आने वो काल-मर्यादा ६० ६४४ धौवणपाणी मूचक आगम पाठ अनभित्रान्त त्रिदा का स्वरूप ११ प्रकार के ग्राह्य धोबन पानी वर्य क्रिया का स्वरूप ६४५ १२ प्रकार के अग्राह्य धोवण पानी ६२७ महावज्यं किया का स्वरूप अचित्त जल ग्रहृष्ण विधि सावध निया का स्वरूप ६४५ ग्लान निर्ग्रन्थ के लिए कल्पनीय विकट दत्तियाँ ६३ ६२८ महासाश्य क्रिया का स्वरूप ६४५ अप्रासुन पानी लेने का निषेध ग्राम आदि में निर्जन्थ-नियंन्थियों के रहने का असावधानी से दिमे हुए सचित्त जल के परठने निषेध ६४६ निर्ग्रन्थ-निर्गन्थियों के लिए पानी के किनारे पर की विधि सरस निरस पानी में समभाव का विधान निषित कार्य पानी ग्रहण करने के विधान और निषेध निर्गन्थियों के उपाश्रय में निर्गन्धों के लिए अमनोज्ञ जल परिष्ठापन का प्रायश्चित्त सूत्र निषिद्ध कार्य तत्काल घोये पानी को ग्रहण करने का निर्ग्रन्थों के उपाश्रय में नियन्थियों के लिए प्रायश्चित्त सूत्र ३२ निषिद्ध कार्य ६४७ शाध्यषणा-विधि-१ स्वाध्याय भूमि में निषिद्ध कार्य श्रमण के ठहरने योग्य स्थान शम्यषणा विधि-निषेध-३ उपाश्रय की याचना अन्तरिक्ष उपाश्रय के विधि-निषेध उपाथय में प्रवेश-निष्क्रमण की विधि ६३३ एषणीय और अनेषणीय उपाथव हेमन्त और ग्रीष्म ऋतु में निम्रन्थों की वसतिवास तृण पराल निर्मित उपायय का विधि-निषेध १०३ ६४६ . मर्यादा कपाटरहित द्वार वाले उपाश्रय का विधि-निषेध १०४ निग्रन्थों के कल्प्य उपाश्रम ६३४ धान्ययुक्त उपाश्रय के विधि-निषेध १०५ हेमन्त और ग्रीष्म में नियंन्धियों की वसतिवाम आहारयुक्त उपाश्रय के विधि-निध ६५१ मर्यादा ग्रामादि में चातुर्मास करने का विधि-निषेध १०७ निन्थियों के कल्प्य उपाश्रय । बइथत बसति निवास विधि-निषेध १०-१०६ ६५२ ६३५ कायोत्सर्ग के लिए स्थान का विधि-निषेध ११० निगन्य-निर्गन्थियों के कल्प्य उपाश्रय ६५२ ग्रामादि में निर्गन्ध-निर्गन्थियों के रहने की विधि ६३५ स्वाध्यायभूमि में जाने के विधि-निषेध ६५२ अभिप्रान्त क्रिया कल्पनीय शय्या ६३५ अन्तर गृहस्थानादि प्रकरण अल्प सावध क्रिया कल्पनीय शय्या अवग्रह ग्रहण विधि-४ शाम्येषणा-निषेध-२ पाँच प्रकार के अवग्रह आज्ञा ग्रहण करने की विधि ११४ गृह निर्माण शय्या निम्रन्थों के अकल्प्य उपाश्रय पूर्वगृहीत अबत्रह के ग्रहण की विधि अवग्रह क्षेत्र का प्रमाण निग्रन्थियों के लिए अकल्प्य उपाश्रय अथग्रह के ग्रहण करने का और उसमें रहने निम्रन्थ-निन्थियों के लिए अकल्प्य उपाश्रय का विवेक ११७६५४ गृहस्थ प्रतिबद्ध उपाश्रय के दोष शुद्ध उपाश्रय की प्ररूपणा अवाह ग्रहण निषेध-५ बारंबार सार्मिक के आगमन की शम्या का सचित्त पृथ्वी आदि का अवग्रह निषेध निषेध ६४४ अन्तरिक्ष जात अवग्रहों का निषेध ६५५ कालातिक्रान्त क्रिया का स्वरूप ६४४ गृहस्थ संयुक्त उपाथय का अवग्रह निषेध १२० ६५० ६५१ ६३४ ६ Frirmir
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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